उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र में समाजवादी पार्टी की रुचि वीरा और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कुंअर सर्वेश कुमार सिंह के बीच मुकाबला है। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) इस सीट पर दोनों उम्मीदवारों का खेल बिगाड़ने का काम कर सकती है। मुरादाबाद में लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग पहले चरण के तहत 19 अप्रैल को होगी, जबकि वोटों की गिनती 4 जून को होगी।
मुरादाबाद लोकसभा सीट से बीजेपी को अब तक सिर्फ एक बार 2014 में सफलता मिली है। बीजेपी की पुरानी इकाई भारतीय जनसंघ ने 1971 में यहां से जीत हासिल की थी। हालांकि, इस बार समाजवादी पार्टी का यह गढ़ आंतरिक कलह के कारण मुश्किल चुनौतियों से गुजर रहा है। समाजवादी पार्टी के मौजूदा सांसद डॉ. एस. टी. हसन 14 अप्रैल को आयोजित अखिलेश यादव की रैली में नहीं पहुंचे। हालांकि, खराब समौम के कारण यादव भी इस रैली में नहीं पहुंच पाए।
हसन ने न्यूज18 (News18) से बातचीत में कहा, ' अगर अखिलेश ने मुझे बुलााय होता, तो मैं जरूर आता। मैं आजम खान के जेल से बाहर निकलने का इंतजार कर रहा हूं। इसके बाद मैं उनसे पूछूंगा कि उन्होंने मेरा टिकट क्यों कटवा दिया।' एस. टी. हसन मुरादाबाद में अस्पताल चलाते हैं। हसन के क्लीनिक के बगल में रहने वाले यहां के एक स्थानीय मुसलमान ने बताया, ' उन्हें अपमानित किया गया। पहले उन्हें टिकट दिया गया और उन्होंने नॉमिनेशन भरा। नॉमिनेशन के आखिरी दिन रुचि वीरा को पार्टी का आधिकारिक उम्मीदवार घोषित किया गया। अगर हसन को पहले उम्मीदवार नहीं बनाया जाता है, तो यह बेहतर होता।'
कई स्थानीय लोगों का कहना था कि हसन अगर उम्मीदवार होते, तो समाजवादी पार्टी को यहां से बड़ी जीत मिलती। हालांकि, लोग अब विपक्षी उम्मीदवार के लिए वोट करेंगे। बहरहाल, समाजवादी पार्टी की नई उम्मीदवार और बिजनौर की पूर्व विधायक रुचि वीरा का कहना था कि उन्होंने हसन से फोन पर बात की है और वह उनसे मिलना भी चाहती थीं, लेकिन हसन साहब ने मिलने से इनकार कर दिया। वीरा ने न्यूज18 को बताया, 'हसन साहब मेरे बड़े भाई की तरह हैं। मुझे उम्मीद है कि वह मुझे समर्थन करेंगे।' दूसरी तरफ, बीजेपी ने यहां चुनाव प्रचार में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उतार दिया है।
बीजेपी कैंप में खुशी का माहौल
71 साल के कुंवर सर्वेश कुमार सिंह ने 2014 के लोकसभा चुनावों में मुरादाबाद से ऐतिहासिक जीत हासिल की थी और एक बार फिर से यहां चुनावी मैदान में हैं। सिंह कई बार विधायक भी रह चुके हैं और उनके बेटे सुशांत सिंह ने यहां चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभाल रखी है। उन्होंने बताया, 'समाजवादी पार्टी ने यह स्वीकार किया है कि उसके सांसद ने पिछले 5 साल में कोई काम नहीं किया और इसलिए पार्टी ने एस. टी. हसन का टिकट काट दिया। 2019 में हम समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी गठबंधन की वजह से हार गए थे।'