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बाजार की गिरावट के बीच ​लार्जकैप स्टॉक्स पर दांव लगाना क्यों है अच्छी रणनीति, प्रशांत जैन ने गिनाए 8 कारण

प्रशांत जैन का मानना है कि भारत इस प्रतिकूल माहौल में भी रिजीलिएंट है। जिसका श्रेय बिजनेस सर्विसेज के एक्सपोर्ट में वृद्धि को जाता है, जिसने देश के चालू खाता घाटे को 1% पर रखा है। भारत पर अमेरिका की ओर से लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ, प्रतिद्वंदियों चीन और वियतनाम के मुकाबले कम हैं। इससे देश को फायदा हो रहा है

Edited By: Moneycontrol Hindi Newsअपडेटेड Apr 07, 2025 पर 11:36 PM
बाजार की गिरावट के बीच ​लार्जकैप स्टॉक्स पर दांव लगाना क्यों है अच्छी रणनीति, प्रशांत जैन ने गिनाए 8 कारण
7 अप्रैल को निफ्टी 742.85 अंक टूटकर 22,161.60 पर बंद हुआ।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ घोषणाओं के कारण वैश्विक बाजारों में मची उथल-पुथल की आंच में भारतीय बाजार भी झुलस गए। 7 अप्रैल को सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट आई। सेंसेक्स 2,226.79 अंक के नुकसान के साथ 73,137.90 पर बंद हुआ। निफ्टी 742.85 अंक टूटकर 22,161.60 पर बंद हुआ। बीएसई में 3,515 शेयरों में गिरावट रही, जबकि 570 बढ़त में रहे। 140 के भाव में कोई बदलाव नहीं हुआ।

बाजार की गिरावट के बीच ​लार्जकैप स्टॉक्स पर दांव लगाना एक अच्छी रणनीति साबित हो सकता है। ऐसा क्यों किया जाना चाहिए, इसे लेकर 3P इनवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड के फाउंडर, चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर और अनुभवी मनी मैनेजर प्रशांत जैन ने 8 कारण बताए हैं...

- प्रशांत जैन का मानना ​​है कि अमेरिका को एक्सपोर्ट किए जाने वाले सामान भारत की GDP (Gross Domestic Product) का केवल 2% हैं। भारत पर अमेरिका की ओर से लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ, प्रतिद्वंदियों चीन और वियतनाम के मुकाबले कम हैं। इससे देश को फायदा हो रहा है। अमेरिका ने भारत से आने वाले सामानों पर 26 प्रतिशत का टैरिफ लगाया गया है। वहीं बांग्लादेश पर 37 प्रतिशत, चीन पर 54 प्रतिशत (नया 34 प्रतिशत+इस साल पहले लगाए जा चुके 20 प्रतिशत), वियतनाम पर 46 प्रतिशत और थाइलैंड पर 36 प्रतिशत का टैरिफ लगाया है।

- कच्चे तेल की कीमतों और अमेरिकी बॉन्ड की यील्ड में भी तेज गिरावट आई है। ब्रेंट क्रूड की कीमतें 75 डॉलर प्रति बैरल से गिरकर लगभग 60 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर हैं। वहीं WTI इस मार्क से भी नीचे आ गया है। 10 वर्षीय US बॉन्ड की यील्ड एक समय 5 प्रतिशत के लेवल को टेस्ट कर रही थी। अब यह 4 प्रतिशत के मार्क पर है। यह भारत के लिए एक पॉजिटिव फैक्टर है।

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