ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी फर्म एडवेंट इंटरनेशनल की व्हर्लपूल इंडिया में हिस्सेदारी खरीदने की बातचीत खत्म हो गई है। वैल्यूएशन पर असहमति के कारण अब यह सौदा आगे नहीं बढ़ेगा। यह बात रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कही गई है। यह डील 1 अरब डॉलर तक की रहने की बात कही जा रही थी। व्हर्लपूल कॉर्प अमेरिकी कंपनी है। इसकी इंडिया यूनिट भारतीय शेयर बाजार में लिस्ट है।
रॉयटर्स के मुताबिक, सूत्रों का कहना है कि एडवेंट, व्हर्लपूल से व्हर्लपूल ऑफ इंडिया में 31% हिस्सेदारी खरीदने के लिए सबसे आगे थी। इस साल जनवरी में व्हर्लपूल ने कहा था कि उसकी इंडिया यूनिट में 51% हिस्सेदारी है और वह इसे घटाकर लगभग 20% करना चाहती है। कंपनी ऐसा अपने कर्ज का एक बड़ा हिस्सा चुकाने के लिए कर रही थी। व्हर्लपूल ने कहा था कि उसे इस हिस्सेदारी बिक्री से 55 करोड़-60 करोड़ डॉलर की नेट कैश आय मिल सकती है।
अगर एडवेंट ने व्हर्लपूल ऑफ इंडिया में 31% हिस्सेदारी हासिल कर ली होती, तो भारतीय नियमों के तहत अतिरिक्त 26% की खरीद के लिए एक अनिवार्य ओपन ऑफर लाती। इससे उसे 57% का कंट्रोलिंग स्टेक मिल जाता। इससे एडवेंट के लिए कुल डील वैल्यू 1 अरब डॉलर हो जाती।
एडवेंट कम वैल्यू में करना चाहती थी डील
रॉयटर्स के मुताबिक, एक सूत्र ने कहा कि डील रद्द होने का एक कारण यह भी है कि एडवेंट कम वैल्यू में डील करना चाहती थी क्योंकि व्हर्लपूल को भारत में शॉर्ट-टर्म चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। एक अन्य व्यक्ति का कहना है, "व्हर्लपूल का एकमात्र उद्देश्य कर्ज चुकाने के लिए व्हर्लपूल ऑफ इंडिया में हिस्सा बेचकर कैश जुटाना था, और वे जो वैल्यू चाहते थे वह ज्यादा थी।"
एक साल में आधा हो गया Whirlpool of India का शेयर
व्हर्लपूल दशकों से भारत में एक जाना-माना नाम रही है। व्हर्लपूल ऑफ इंडिया का ऑपरेशंस से रेवेन्यू वित्त वर्ष 2025 में 16% बढ़कर 88.05 करोड़ डॉलर हो गया। LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया और सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी नई कंपनियों ने व्हर्लपूल की बिक्री को प्रभावित किया है। व्हर्लपूल इंडिया के शेयर एक साल में लगभग 50% गिरे हैं। शेयर की कीमत BSE पर 949.45 रुपये है। कंपनी का मार्केट कैप 12000 करोड़ रुपये से ज्यादा है। एक महीने में शेयर 30 प्रतिशत और एक सप्ताह में करीब 12 प्रतिशत नीचे आया है।
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