जनरेटिव एल्गोरिदम से एल्गोरिदम ट्रेडिंग सिस्टम बनाना आसान हो गया है। लेकिन, इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस ट्रेंड से 'शैलो क्वांट्स' पैदा हो सकता है, जिससे 'एक्सप्लेनिबिलिटी' गैप बढ़ सकता है। यह रेगुलेटर्स के लिए एक बड़ा चैलेंज हो सकता है। FY25 में एनएसई में एल्गोरिदम स्ट्रेटेजी की हिस्सेदारी इक्विटी डेरिवेटिव टर्नओवर में 70 फीसदी तक पहुंच गई। इस साल ग्लोबल एल्गो ट्रेडिंग मार्केट के 23.48 अरब डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान है।