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Daily Voice: कैपेक्स थीम को मिड, स्मॉल-कैप के जरिये से खेलना पसंद करता है यह फंड मैनेजर, जानें उनके पसंदीदा स्टॉक्स

JM Financial Asset Management के असित भंडारकर ने कहा कि फ्रंटलाइन कैपिटल गुड्स प्लेयर्स अब सस्ते नहीं हैं। वे अब मिड और स्मॉल-कैप कैटेगरी के जरिए कैपेक्स थीम खेलना पसंद करते हैं क्योकि इसका रिस्क रिवॉर्ड बेहतर है। भंडारकर ने कहा कि मई ऑटो बिक्री के आंकड़े एक सुखद आश्चर्य के रूप में आये हैं

Sunil Matkarअपडेटेड Jun 03, 2023 पर 11:53 AM
Daily Voice: कैपेक्स थीम को मिड, स्मॉल-कैप के जरिये से खेलना पसंद करता है यह फंड मैनेजर, जानें उनके पसंदीदा स्टॉक्स
असित भंडारकर का कहना है कि निजी निवेश में बढ़ोत्तरी और सरकार के नीतिगत सपोर्ट के कारण FY26 तक भारत का 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य यथार्थवादी नजर आ रहा है

जेएम फाइनेंशियल एसेट मैनेजमेंट के सीनियर फंड मैनेजर-इक्विटी असित भंडारकर (Asit Bhandarkar, Senior Fund Manager-Equity, JM Financial Asset Management) का कहना है कि फ्रंटलाइन कैपिटल गुड्स प्लेयर्स अब सस्ते नहीं हैं। वह बेहतर रिस्क रिवॉर्ड के कारण मिड और स्मॉल-कैप कैटेगरी के जरिए कैपेक्स थीम खेलना पसंद करते हैं। भंडारकर के पास इक्विटी रिसर्च और फंड मैनेजमेंट में दो दशकों का अनुभव है। उन्होंने कहा कि मई ऑटो बिक्री के आंकड़े एक सुखद आश्चर्य के रूप में आये हैं। खासकर दोपहिया वाहनों के आंकड़े जो ग्रामीण रिकवरी के संकेत हो सकते हैं। फंड मैनेजर को उम्मीद है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्विमासिक नीति समीक्षा की अगले हफ्ते होने वाली बैठक में पॉलिसी रुख को "तटस्थ" बनाये रख सकता है। भंडारकर ने मनीकंट्रोल बाजार पर विस्तार से बात की। पेश है इसके संपादित प्रमुख अंशः

क्या आप उम्मीद करते हैं कि FY23 के लिए उम्मीद से बेहतर नतीजों के बाद आर्थिक विकास वित्त वर्ष 2024 के लिए आरबीआई के पूर्वानुमान से ऊपर होगा?

भारत के दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बने रहने की संभावना है। वित्तीय वर्ष 23 की वृद्धि ने बाजारों को सुखद रूप से आश्चर्यचकित कर दिया। इसकी वजह ये रही कि आर्थिक गतिविधि, विशेष रूप से सर्विस सेक्टर में, भौतिक रूप से सुधार हुआ। सरकार और आरबीआई के बीच फिस्कल-मोनेटरी कॉर्डिनेशन ने मुद्रास्फीति और विकास के बीच संतुलन हासिल करने की कोशिश की है।

FY26 तक भारत का 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य निजी निवेश में वृद्धि के साथ-साथ सरकार के नीतिगत समर्थन के कारण यथार्थवादी दिख रहा है। हम वित्त वर्ष 24 में आरबीआई के 6.5 प्रतिशत के अनुमान से ज्यादा जीडीपी की संभावना के बारे में आशावादी बने हुए हैं।

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