पिछले कुछ हफ्तों से बाजार में अच्छी तेजी आई है। निफ्टी (Nifty) ने 17,800 का स्तर पार किया है। टेक्निकल एनालिस्ट इस स्तर को काफी अहम मान रहे थे। सवाल है कि क्या बाजार का ट्रेंड (Market Trend) बदल गया है? Elliott Wave के एनालिस्ट रोहित श्रीवास्तव का कहना है कि यह Bear Rally है। उनका यह भी कहना है कि यह रैली खत्म होती दिख रही है। मनीकंट्रोल से बातचीत में उन्होंने मार्केट के बारे में कई अहम बातें बताईं।
श्रीवास्तव ने कहा कि मार्केट रैली खत्म होती दिख रही है। लेकिन, इसकी पुष्टि के लिए हमें कुछ और संकेतों को देखना होगा। लेकिन, वेव स्ट्रक्चर और मोमेंटम इंडिकेटर्स बताते हैं कि तेजी का दौर फिलहाल के लिए पूरो हो गया है। शुक्रवार को निफ्टी ने करीब 18,000 को छू लिया। यह अब भी बियर मार्केट में है।
उन्होंने कहा कि अगर वीकली चार्ट को देखा जाए तो ऊपर में 18,125 पर रेसिस्टेंस दिखाई देता है। नीचे में 16,600 पर मजबूत सपोर्ट है। 17,640 का स्तर टूटने पर वीकली लेवल पर पहले हम 16,600 की तरफ बढ़ेंगे। अगर यह स्तर टूट जाता है तो 14,500 पर मंथली सपोर्ट दिखाई देता है।
मार्केट के ट्रेंड के बारे में श्रीवास्तव ने कहा कि हमने 17,300 पर इंडेक्स फ्यूचर्स में ज्यादातर शॉर्ट कवरिंग पूरी होती देखी है। विदेशी निवेशकों ने अपने सभी शॉर्ट्स कवर कर लिए हैं। अगर मार्केट में एडवान्स और डेक्लाइन के 20 दिन के औसत रेशियो को देखा जाए तो अगस्त में बाजार में तेजी के दौरान भी यह रेशियो बढ़ा नहीं है। यह इस बात का संकेत है कि 17,300 से 17,800 अंक की इस तेजी में कुछ ही शेयरों का बड़ा हाथ रहा है। यह अंडरलाइंस मोमेंटम में कमजोरी का संकेत है।
यह पूछने पर कि मार्केट के किस लेवल को पार कर जाने पर बुल मार्केट की शुरुआत मानी जाएगी, श्रीवास्तव ने कहा कि मार्केट को लेकर हमारा एप्रोच बदल गया है। अब हम सिर्फ लेवल को नहीं देखते। हम बुनियादी आर्थिक स्थितियों (Macro) को भी देखते हैं। हमें डॉलर इंडेक्स और कमोडिटी प्राइसेज को देखना होगा। जब तक दोनों (डॉलर इंडेक्स और कमोडिटी प्राइसेज) की चाल बदल नहीं जाती और हालात में बदलाव का संकेत नहीं मिल जाता, मार्केट को लेकर मेरा आउटलुक नहीं बदलेगा।
विदेशी निवेशकों की खरीदारी लौटने के बारे में उन्होंने कहा कि आम तौर पर यह माना जाता है कि अगर विदेशी निवेशक खरीद रहे हैं तो इसका मतलह है कि बाजार का खराब दौर बीत चुका है। लेकिन, सिर्फ विदेशी निवेशकों के खरीदने और बेचने से स्पष्ट संकेत नहीं मिलता है।
उन्होंने कहा कि आप साल 2000 का उदाहरण ले सकते हैं। तब मार्केट में बियरिश फेज के बीच विदेशी निवेशकों ने अपनी खरीदारी बढ़ा दी थी। पहले वे सिर्फ कुछ सौ करोड़ मूल्य के शेयर खरीद रहे थे। फरवरी और मार्च में उन्होंने हर माह कुछ हजार करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदना शुरू कर दिया था। पहली बार वे इंडिया में इतना ज्यादा निवेश कर रहे थे। इसके बावजूद मार्केट में बियरिश ट्रेंड बना रहा।