FIIs की बिकवाली जारी, 1278 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, DIIs की खरीदारी से बाजार को मिल रहा सपोर्ट

कल 22 नवंबर को डीआईआई ने 1,722 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं। वहीं, एफआईआई ने 1,278 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। इस वर्ष अब तक एफआईआई ने 2.94 लाख करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे हैं, जबकि डीआईआई ने 5.62 लाख करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे हैं

अपडेटेड Nov 23, 2024 पर 11:21 AM
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इस साल अब तक एफआईआई ने 2.94 लाख करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे हैं, जबकि डीआईआई ने 5.62 लाख करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे हैं

एनएसई के प्रोविजनल आंकड़ों के मुताबिक घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 22 नवंबर को 1,722 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, जबकि दूसरी ओर विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 1,278 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। कल के कारोबारी सत्र के दौरान, डीआईआई ने 12,251 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे और 10,529 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। दूसरी ओर एफआईआई ने 16,985 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे जबकि 18,263 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।

इस साल अब तक एफआईआई ने 2.94 लाख करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे हैं, जबकि डीआईआई ने 5.62 लाख करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे हैं।

22 नवंबर को कारोबारी सत्र के अंत में सेंसेक्स 1,961.32 अंक या 2.54 फीसदी बढ़कर 79,117.11 पर और निफ्टी 557.40 अंक या 2.39 फीसदी बढ़कर 23,907.30 पर बंद हुआ था। निफ्टी ने 2.4 फीसदी की बढ़त के साथ पांच महीनों में अपनी सबसे अच्छी एक दिन की बढ़त दर्ज की।


निफ्टी में सबसे ज्यादा लाभ वाले शेयरों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, टीसीएस, आईटीसी, अल्ट्राटेक सीमेंट और टाइटन कंपनी के नाम शामिल रहे। हालांकि, निफ्टी का अकेला एक शेयर बजाज ऑटो ही नुकसान में बंद हुआ। बीएसई मिडकैप इंडेक्स में 1.3 फीसदी और स्मॉलकैप इंडेक्स में करीब 1 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई। पीएसयू बैंक, आईटी, एफएमसीजी, एनर्जी और रियल्टी इंडेक्स में 2-3 फीसदी की बढ़त के साथ सभी सेक्टोरल इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए।

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कल भारतीय बाजारों में ओवरसोल्ड जोन से एक बड़े आधार पर शानदार रैली देखने को मिली। इस रैली की लीडरशिप बड़े पैमाने पर लार्ज-कैप शेयरों को हाथ में रही। लार्जकैप का वैल्यूएशन अब अच्छा लगने लगा है, जिसकी वजह से इनमें खरीदारी लौटती दिखी है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिटेल रिसर्च प्रमुख दीपक जसानी ने कहा कि जियोपोलिटिकल जोखिम भी काफी हद तक घटा है। साथ ही अदाणी मुद्दे का असर फिलहाल खत्म होता दिख रहा है।

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