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FIIs in Indian Market: बाजार से पैसे निकाल रहे विदेशी निवेशक, इस साल 8 दिनों में बेच डाले 8170 करोड़ के शेयर

FIIs in Indian Market: विदेशी निवेशकों के लिहाज से यह साल बहुत भारी पड़ा। आठ कारोबारी सत्रों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने 100 करोड़ डॉलर (8170 करोड़ रुपये) से अधिक शेयरों की बिक्री की है। पिछले साल 2022 में एफआईआई ने खरीदारी से अधिक बिकवाली की और उन्होंने 1721 करोड़ रुपये के भारतीय शेयर बेच दिए। यह रुझान इस साल भी जारी रहा

अपडेटेड Jan 12, 2023 पर 6:25 PM
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एनएसई की वेबसाइट पर मौजूद प्रोविजनल डेटा के मुताबिक 11 जनवरी को एफआईआई ने 3208.15 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की। वहीं सेबी की वेबसाइट के मुताबिक एफआईआई ने 2 जनवरी से 10 जनवरी तक 81.76 करोड़ डॉलर के शेयर बेच दिए।

FIIs in Indian Market: विदेशी निवेशकों के लिहाज से यह साल बहुत भारी पड़ा। आठ कारोबारी सत्रों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने 100 करोड़ डॉलर (8170 करोड़ रुपये) से अधिक शेयरों की बिक्री की है। पिछले साल 2022 में एफआईआई ने खरीदारी से अधिक बिकवाली की और उन्होंने 1721 करोड़ रुपये के भारतीय शेयर बेच दिए। यह रुझान इस साल भी जारी रहा। एनएसई की वेबसाइट पर मौजूद प्रोविजनल डेटा के मुताबिक 11 जनवरी को एफआईआई ने 3208.15 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की। वहीं सेबी की वेबसाइट के मुताबिक एफआईआई ने 2 जनवरी से 10 जनवरी तक 81.76 करोड़ डॉलर के शेयर बेच दिए।

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FIIs क्यों बेच रहे हैं शेयर


देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी TCS ने कुछ दिन पहले दिसंबर 2022 तिमाही के नतीजे जारी किए। टीसीएस के कमजोर नतीजे से आने वाले समय में चुनौतियों के संकेत मिले और निवेशकों के बीच धारणा बनी है कि आईटी सेक्टर की ग्रोथ सुस्त रह सकती है। वहीं अमेरिकी फेड के दो अहम पदाधिकारी अटलांटा फेड प्रेसिडेंट रफाएल बोस्टिक और सैन फ्रैंसिस्को फेड प्रेसिडेंट मैरी डैली ने कहा कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक को ब्याज दर बढ़ाकर 5 फीसदी से ऊपर करना चाहिए। इन दोनों का मानना है कि अभी यह कहना जल्दबाजी होगा कि महंगाई पर काबू पा लिया गया है। इन सब वजहों से एफआईआई शेयर बेच रहे हैं।

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अब आगे क्या है रुझान

एनालिस्ट्स का मानना है कि निवेशक अभी इकोनॉमिक ग्रोथ पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व के रेट हाइक के असर को ट्रैक कर रहे हैं। वहीं रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई अगर गहराती है तो इसका असर कमोडिटी की कीमतों पर दिख सकता है। आईडीएफसी म्यूचुअल फंड के मुताबिक कमोडिटी पर सबसे अधिक असर चीन की इकोनॉमी का दिखेगा।

अगर तेल और गैस की कीमतों की रफ्तार नहीं थमती है तो यूरोपीय इकोनॉमी को झटका लग सकता है और इसका असर यहां भी दिखेगा। घरेलू स्तर पर बात करें तो निवेशकों की निगाहें 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट पर रहेंगी। वहीं कल अमेरिका और भारत में कंज्यूमर प्राइस इनफ्लेशन (CPI) के आंकड़े आएंगे। इसके आंकड़े बाजार पर असर डालते हैं।

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