विदेशी निवेशकों ने नवंबर में भारतीय इक्विटी बाजार से 21,612 करोड़ रुपये (2.56 अरब अमेरिकी डॉलर) निकाले। इसके साथ ही वह लगातार दूसरे महीने सेलर रहे। एनालिस्ट्स के मुताबिक अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी, डॉलर की मजबूती और घरेलू अर्थव्यवस्था में मंदी के चलते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की बिकवाली जारी है।
हालांकि, FPI की शुद्ध निकासी अक्टूबर की तुलना में काफी कम हो गई है। अक्टूबर में FPI ने 94,017 करोड़ रुपये (11.2 अरब अमेरिकी डॉलर) की बिकवाली की थी। FPI ने 2024 में अब तक कुल 15,019 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की है। सितंबर में FPI ने शेयर बाजारों में 57,724 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जो 9 महीनों का उच्चतम स्तर था।
आगे कौन से फैक्टर तय करेंगे FPI का रुख
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मॉर्निंगस्टार इनवेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर मैनेजर-रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि आने वाले समय में डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में लागू होने वाली नीतियों, भूराजनीतिक गतिविधियों, महंगाई और ब्याज दर से FPI का रुख तय होगा। भारतीय कंपनियों की तीसरी तिमाही की इनकम भी निवेशकों का रुख तय करने में बड़ी भूमिका निभाएगी।
वैश्विक बाजारों के मिले-जुले रुख के बीच घरेलू स्तर पर चुनिंदा दिग्गज कंपनियों के शेयरों में खरीद बढ़ने से बाजार में 29 नवंबर को अच्छी तेजी रही। बीएसई सेंसेक्स 759.05 अंक या 0.96 प्रतिशत उछलकर 79,802.79 पर बंद हुआ। एनएसई निफ्टी 216.95 अंक या 0.91 प्रतिशत चढ़कर 24,131.10 पर बंद हुआ। बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 0.76 प्रतिशत और मिडकैप सूचकांक 0.31 प्रतिशत चढ़ गया।
डेट मार्केट में क्या स्थिति
डेट मार्केट की बात करें तो विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने नवंबर में डेट जनरल लिमिट के जरिए 1,217 करोड़ रुपये का निवेश किया। वहीं डेट वॉलंटरी रिटेंशन रूट (VRR) के जरिए 3,034 करोड़ रुपये डाले। FPI इस साल अब तक डेट मार्केट में 1.07 लाख करोड़ रुपये लगा चुके हैं।