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FPI 3 महीने बाद बने बायर, अक्टूबर में भारतीय शेयरों में लगाए ₹14610 करोड़

अक्टूबर में शुद्ध निवेश के बावजूद FPI साल 2025 में अब तक शेयरों से लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके हैं। FPI ने भारतीय शेयरों से सितंबर में 23,885 करोड़, अगस्त में 34,990 करोड़ और जुलाई में 17,700 करोड़ रुपये निकाले थे

Edited By: Ritika Singhअपडेटेड Nov 02, 2025 पर 3:58 PM
FPI 3 महीने बाद बने बायर, अक्टूबर में भारतीय शेयरों में लगाए ₹14610 करोड़
FPI के मौजूदा रुख की स्थिरता, मैक्रो स्टेबिलिटी, एक बेहतर वैश्विक वातावरण और आने वाली तिमाहियों में कंपनियों के नतीजों पर निर्भर करेगी।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) भारतीय शेयर बाजार में फिर से बायर बन गए हैं। अक्टूबर में FPI ने भारतीय शेयर बाजार में शुद्ध रूप से 14,610 करोड़ रुपये डाले हैं। इससे पहले उन्होंने लगातार 3 महीने पैसे निकाले थे। इस निवेश को कंपनियों के मजबूत तिमाही नतीजों, अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती और अमेरिका-भारत के बीच व्यापार समझौता जल्द होने की उम्मीदों से बल मिला। इस बीच बॉन्ड बाजार में FPI ने जनरल लिमिट के तहत लगभग 3,507 करोड़ रुपये का निवेश किया। वहीं वॉलंटरी रिटेंशन रूट से 427 करोड़ रुपये निकाले।

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, FPI ने भारतीय शेयरों से सितंबर 2025 में 23,885 करोड़ रुपये, अगस्त में 34,990 करोड़ रुपये और जुलाई में 17,700 करोड़ रुपये निकाले थे। अक्टूबर में शुद्ध निवेश के बावजूद FPI साल 2025 में अब तक शेयरों से लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके हैं।

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मॉर्निंगस्टार इनवेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के प्रिंसिपल, मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है कि यह बदलाव हाल ही में हुए सुधारों और प्रमुख क्षेत्रों में मजबूत तिमाही नतीजों के बाद जोखिम उठाने के बेहतर सेंटिमेंट और आकर्षक वैल्यूएशन के कारण हुआ है। साथ ही इसके पीछे महंगाई में कमी, इंट्रेस्ट रेट साइकिल में नरमी की उम्मीदें और GST सिस्टम में बदलाव जैसे सहायक फैक्टर भी हैं। इससे निवेशकों का विश्वास और मजबूत हुआ है। FPI के मौजूदा रुख की स्थिरता, मैक्रो स्टेबिलिटी, एक बेहतर वैश्विक वातावरण और आने वाली तिमाहियों में कंपनियों के नतीजों पर निर्भर करेगी।

आगे कितन चीजों पर निर्भर करेगा FPI का रुख

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