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कोटक महिंद्रा लाइफ के हेमंत कानावाला को कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स में दिख रहे हैं कमाई के मौके, जानिए और कहां है इनकी नजर

Daily Voice: हेमंत ने कहा कि आयात को कम करने और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स के मैन्यूफैक्चरिंग पर बहुत ज्यादा फोकस किया जा रहा है। इसके अलावा, मल्टीनेशनल कंपनियां चीन से निकलकर दूसरे किसी देश में अपनी ईकाइयां लगाना चाहती हैं इसका फायदा भारत को मिलेगा। ऐसे में कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में कमाई के काफी अच्छे मौके होंगे

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 11, 2023 पर 3:33 PM
कोटक महिंद्रा लाइफ के हेमंत कानावाला को कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स में दिख रहे हैं कमाई के मौके, जानिए और कहां है इनकी नजर
Daily Voice : हेमंत कानावाला का कहना है कि अगर अमेरिका में विकास की बेहतर संभावना है, तो कंपनियों की तरफ से होने वाले आईटी खर्च में भी बढ़ोतरी होनी चाहिए। ये आईटी सेक्टर के लिए अच्छा संकेत हो सकता है

Daily Voice : कोटक महिंद्रा लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के सीनियर ईवीपी और हेड-इक्विटी, हेमंत कानावाला का कहना है कि रियल एस्टेट की मांग में मजबूत तेजी आई है। इस तेजी से रियल एस्टेट डेवलपर्स और रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े सभी सेक्टरों को फायदा हो रहा है। ऐसे में इस समय रियल एस्टेट और रियल एस्टेट एंसिलरी दोनों में निवेश के अच्छे मौके दिख रहे हैं। मनीकंट्रोल से हुई बातचीत में फंड मैनेजमेंट का 15 सालों से ज्यादा का अनुभव रखने वाले हेमंत ने आगे कहा कि कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में आगे अच्छी कमाई होगी। क्योंकि सरकार की तरफ से आयात को कम करने और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स के मैन्यूफैक्चरिंग पर बहुत ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। इसका फायदा इस सेक्टर को मिलेगा।

क्या आपको लगता है कि आरबीआई की तरफ ब्याज दर में कटौती तभी होगी जब महंगाई 4 फीसदी से नीचे जाएगी?

इसके जवाब में हेमंत ने कहा कि आरबीआई की मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) को ग्रोथ और महंगाई के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है। वर्तमान में, महंगाई 2 फीसदी से 6 फीसदी के निर्धारित बैंड के बीच है। लेकिन आरबीआई 4 फीसदी की न्यूट्रल दर हासिल करने पर फोकस कर रहा है।

इसके साथ ही भारत की ग्रोथ रेट लगभग 6 फीसदी है। यह सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इसलिए वर्तमान स्थिति में, एमपीसी द्वारा ब्याज दर चक्र में विराम बनाए रखने की संभावना है। हालांकि, ग्लोबल चुनौतियों के कारण अगर ग्रोथ में गिरावट के संकेत मिलते हैं। आरबीआई की तरफ से दरों में कटौती पर विचार किया जा सकता है, भले ही महंगाई 4 फीसदी से ऊपर हो।

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