SEBI चेयरपर्सन के बयान पर हिंडनबर्ग का पलटवार, कहा- उठते हैं और नए सवाल
Hindenburg Response to SEBI Chairperson statement: हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी नई रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि माधबी और धवल बुच के पास उन दो विदेशी कोषों यानि ऑफशोर फंड्स में हिस्सेदारी है, जिनका इस्तेमाल करके अदाणी समूह में कथित रूप से पैसों की हेराफेरी की गई। अपने निवेशों को लेकर बुच दंपति ने कहा कि यह 2015 में किया गया था, जब वे सिंगापुर में रहने वाले निजी नागरिक थे
हिंडनबर्ग के आरोपों को माधबी और धवल बुच ने बेबुनियाद बताया है।
अमेरिकी शॉर्टसेलिंग फर्म हिंडनबर्ग (Hindenburg Research) की नई रिपोर्ट में हुए खुलासों पर सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की ओर से दिए गए बयानों पर हिंडनबर्ग ने पलटवार किया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कई पोस्ट के जरिए हिंडनबर्ग ने कहा कि माधबी बुच के जवाब में कई महत्वपूर्ण बातों को कबूल करना शामिल है और इससे नए गंभीर सवाल उठते हैं। बता दें कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी नई रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि माधबी और धवल बुच के पास उन दो विदेशी कोषों यानि ऑफशोर फंड्स में हिस्सेदारी है, जिनका इस्तेमाल करके अदाणी समूह में कथित रूप से पैसों की हेराफेरी की गई।
एक आरोप यह भी है कि जब माधबी बुच सेबी की होल टाइम मेंबर थीं, तब 2019 में उनके पति धवल बुच को ब्लैकस्टोन का वरिष्ठ सलाहकार नियुक्त किया गया और सेबी द्वारा REIT रेगुलेशंस में किए गए बड़े बदलावों से उसी ब्लैकस्टोन को फायदा पहुंचा।
आरोपों पर माधबी और धवल बुच ने जॉइंट स्टेटमेंट में कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च सेबी की विश्वसनीयता पर हमला करने और चेयरपर्सन का चरित्र हनन करने की कोशिश कर रही है। अपने निवेशों को लेकर उन्होंने कहा कि यह 2015 में किया गया था, जब वे सिंगापुर में रहने वाले निजी नागरिक थे। माधबी बुच, सेबी में होलटाइम मेंबर के तौर पर दो साल बाद 2017 में जुड़ीं। फंड्स में निवेश करने का फैसला मुख्य निवेश अधिकारी अनिल आहूजा की सलाह से प्रभावित था, जो धवल के बचपन के दोस्त थे और एक स्ट्रॉन्ग करियर बैकग्राउंड वाले अनुभवी निवेशक थे। बयान में यह भी दावा किया गया कि किसी भी समय फंड ने अदाणी समूह की कंपनियों के किसी भी बॉन्ड, इक्विटी या डेरिवेटिव में निवेश नहीं किया।
हिंडनबर्ग ने पलटवार में क्या कहा
सेबी चेयरपर्सन के स्पष्टीकरण पर हिंडनबर्ग का कहना है, 'इस जवाब ने अस्पष्ट बरमूडा/मॉरीशस फंड स्ट्रक्चर में सार्वजनिक रूप से बुच के निवेश की पुष्टि की है। ये वे फंड हैं, जिनका इस्तेमाल गौतम अदाणी के बड़े भाई विनोद अदाणी ने कथित रूप से अदाणी समूह में पैसों की हेराफेरी और शेयर की कीमतें बढ़ाने के लिए किया था। माधबी बुच ने यह भी कनफर्म किया है कि फंड का मैनेजमेंट धवल बुच के बचपन के दोस्त द्वारा किया जाता था, जो उस समय अदाणी ग्रुप के तहत एक डायरेक्टर थे।'
हिंडनबर्ग ने आगे कहा कि सेबी को अदाणी समूह से जुड़े निवेश फंड्स की जांच करने का काम सौंपा गया था, जिसमें वे फंड शामिल हो सकते हैं जिनमें बुच ने खुद निवेश किया था, जिससे हितों के संभावित टकराव के बारे में सवाल उठते हैं।
माधबी बुच ने दावा किया है कि उन्होंने भारत और सिंगापुर में जो दो कंसल्टिंग फर्म स्थापित की थीं, 2017 में सेबी में उनकी नियुक्ति के तुरंत बाद निष्क्रिय हो गईं। हिंडनबर्ग का कहना है कि हालांकि, उनके पति ने कथित तौर पर 2019 में कारोबार संभाल लिया। लेकिन माधबी बुच अभी भी भारतीय इकाई, अगोरा एडवायजरी लिमिटेड का 99% मालिकाना हक रखती हैं, न कि उनके पति। यह फर्म एक्टिव है और कंसल्टिंग से रेवेन्यू जनरेट कर रही है।
हिंडनबर्ग ने यह भी कहा कि सिंगापुर की यूनिट अगोरा पार्टनर्स सिंगापुर भी 16 मार्च, 2022 तक पूरी तरह से बुच के मालिकाना हक में थी, यानि कि सेबी की होलटाइम मेंबर के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान। सेबी चेयरपर्सन बनने के दो सप्ताह बाद उन्होंने अपने पति को मालिकाना हक ट्रांसफर कर दिया।
अगोरा एडवायजरी लिमिटेड ने वित्त वर्ष 2022, 2023 और 2024 के दौरान 2.39 करोड़ रुपये से ज्यादा (लगभग 312,000 अमेरिकी डॉलर) का रेवेन्यू अर्जित किया, जबकि उस वक्त माधबी बुच सेबी चेयरपर्सन के रूप में कार्यरत थीं।
हिंडनबर्ग ने आगे कहा कि यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि व्हिसलब्लोअर डॉक्युमेंट्स से पता चलता है कि माधबी बुच ने सेबी के होलटाइम मेंबर के रूप में सेवा देते हुए अपने पति के नाम का इस्तेमाल करके व्यवसाय करने के लिए अपने पर्सनल ईमेल का इस्तेमाल किया। 2017 में सेबी के होलटाइम मेंबर के रूप में नियुक्ति से कुछ सप्ताह पहले उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि अदाणी से जुड़े खाते केवल उनके पति धवल बुच के नाम पर रजिस्टर्ड हों।
हिंडनबर्ग का दावा है कि व्हिसलब्लोअर डॉक्युमेंट से पता चलता है कि नियंत्रण से इनकार करने के बावजूद, सेबी में अपने कार्यकाल के एक साल बाद माधबी बुच द्वारा भेजे गए एक प्राइवेट ईमेल से पता चलता है कि उन्होंने अपने पति के नाम से फंड में हिस्सेदारी भुनाई। इससे यह सवाल उठता है कि एक अधिकारी के तौर पर सेवा देते हुए सेबी चेयरपर्सन, अपने पति के नाम से और कौन से निवेश या कारोबार से जुड़ी हैं?
क्या क्लाइंट्स की लिस्ट करेंगी सार्वजनिक?
हिंडनबर्ग ने जवाबी हमले में आगे कहा, 'बुच ने कहा है कि उनके पति ने 2019 से कंसल्टिंग एंटिटीज का इस्तेमाल इंडियन इंडस्ट्री में अज्ञात प्रमुख क्लाइंट्स के साथ लेन-देन करने के लिए किया। क्या इनमें वे क्लाइंट भी शामिल हैं, जिन्हें रेगुलेटर करने का काम सेबी को सौंपा गया है? बुच के बयान में पूर्ण पारदर्शिता को लेकर प्रतिबद्धता का वादा किया गया है। इसे देखते हुए, क्या वह सिंगापुर की कंसल्टिंग फर्म, भारतीय कंसल्टिंग फर्म और ऐसी किसी अन्य एंटिटी के माध्यम से किए गए इंगेजमेंट्स की डिटेल्स और कंसल्टिंग क्लाइंट्स की पूरी लिस्ट सार्वजनिक रूप से जारी करेंगी, जिसमें उनकी या उनके पति की हिस्सेदारी हो? क्या सेबी चेयरपर्सन इन मुद्दों की पूर्ण, पारदर्शी और सार्वजनिक जांच के लिए तैयार होंगी?'