वित्त वर्ष 22 की चौथी तिमाही में वैश्विक स्तर पर इक्विटी मार्केट्स को प्रभावित करने वाली तमाम घटनाएं हुईं। इनमें युद्ध का आगाज, कमोडिटीज की कीमतों में उछाल और केंद्रीय बैंकों की नरम नीतियों का दौर समाप्त होना शामिल है।
वित्त वर्ष 22 की चौथी तिमाही में वैश्विक स्तर पर इक्विटी मार्केट्स को प्रभावित करने वाली तमाम घटनाएं हुईं। इनमें युद्ध का आगाज, कमोडिटीज की कीमतों में उछाल और केंद्रीय बैंकों की नरम नीतियों का दौर समाप्त होना शामिल है।
वास्तव में इस तिमाही में वॉलेटिलिटी इंडेक्स इंडिया विक्स (India VIX) बढ़कर 28 तक पहुंच गया, वहीं बेंचमार्क निफ्टी50 (Nifty 50) काफी हद तक फ्लैट रहा है।
हालांकि बाजार में अनोखी बातें भी हुई हैं। दरअसल, बैंकों और कमोडिटीज जैसे प्रमुख सेक्टरों के सहारे निफ्टी50 (Nifty 50) की कंपनियों की प्रति शेयर अर्निंग्स (EPS) के अनुमान में इजाफा हुआ है। ब्लूमबर्ग के डाटा से पता चलता है कि चौथी तिमाही में EPS 5.8 फीसदी बढ़ने का अनुमान है। 30 स्टॉक्स वाले बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) के लिए EPS टारगेट 4.55 फीसदी तक बढ़ गया है।
इन वजहों से बढ़ा भरोसा
दिसंबर तिमाही में बैंकों के उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन, तेजी टीकाकरण और कोविड-19 संक्रमण में कमी और इकोनॉमिक डाटा में सुधार से एनालिस्ट्स का पूरे साल की अर्निंग पर भरोसा बढ़ा हुआ है।
रेलिगेयर ब्रेकिंग अजित मिश्रा ने कहा, “विशेष रूप से बड़े बैंकों के वित्त वर्ष 22 की तीसरी तिमाही में नतीजे अच्छे रहे हैं, जिससे अर्निंग्स को लेकर एनालिस्ट्स का भरोसा बढ़ा है। इसके अलावा, मेटल की कीमतें लगातार बढ़ने से सेक्टर के लिए अर्निंग्स का अनुमान बढ़ जाएगा। साथ ही, एक छोटी तीसरी लहर और तेजी से बंदिशें कम होने से कुछ खपत आधारित कंपनियों के लिए अनुमान बढ़ाने में मदद मिलेगी।”
तेजी से बढ़ी हैं कमोडिटी की कीमतें
एचडीएफसी सिक्योरिटीज (HDFC Securities) के हेड (रिटेल रिसर्च) दीपक जैसानी ने कहा कि बैंकों ने क्रेडिट ग्रोथ में अच्छा सुधार दर्ज किया है और स्ट्रेस्ड एसेट्स में कमी आई है, जो उनकी कमाई के लिए अच्छा संकेत है। इसके अलावा, कमोडिटी की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं, एकीकृत कंपनियों को फायदा होने जा रहा है। उन्होंने कहा, भारत के इक्विटी मार्केट की वैल्युएशन इस साल घटी है। निफ्टी और सेंसेक्स एक साल आगे के प्राइस टू अर्निंग्स (पीई) रेश्यो की तुलना में 19.86 गुने और 21.28 गुने पर ट्रेड कर रहे हैं, जो दिसंबर की तुलना में क्रमशः 85 बेसिस प्वाइंट्स और 78 बेसिस प्वाइंट्स कम है। निफ्टी का एक साल आगे का पीई उसके पांच साल के 18.65 गुने के औसत से 122 बीपीएसस ज्यादा है।
ग्लोबल सेंटीमेंट्स का दिखेगा असर
एनालिस्ट्स का मानना है कि वैल्युएशंस पर दबाव ग्लोबल सेंटीमेंट पर निर्भर करेगा। अभी तक भारत को अच्छे निर्यात, पर्याप्त लिक्विडिटी और स्टॉक्स में रैली का फायदा मिला है। इनमें निर्यात का आउटलुक अस्पष्ट है और आरबीआई द्वारा राहतें वापस लेने से लिक्विडिटी कम होने का अनुमान है। विशेषज्ञों ने बढ़ती महंगाई के बीच आर्थिक ग्रोथ के अनुमानों को पहले ही कम करना शुरू कर दिया है।
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