India VIX Volatility Index : शेयर बाजार में डर के बैरोमीटर के रूप में पहचाने जाने वाला वॉलेटिलिटी सूचकांक इंडिया विक्स 23 फीसदी बढ़कर 23 अंक तक पहुंच गया है। इससे मार्केट पार्टिसिपैंट्स के बीच बढ़ती घबराहट के संकेत मिलते हैं। इंडिया विक्स आज की रीडिंग पिछले एक महीने में सबसे ज्यादा है। इस बढ़ोतरी के बावजूद, विक्स रीडिंग (VIX reading) मार्च, 2020 के 87 के आसपास भी नहीं है, जब कोविड महामारी की शुरुआत हुई थी।
सामान्य रूप से 15-17 के बीच रहता है विक्स इंडेक्स
सबसे ज्यादा इंडिया विक्स 2008 की ग्लोबल फाइनेंसियल क्राइसिस (Global Financial Crisis) के दौरान रहा था, जब 14 नवंबर, 2008 को यह 92.53 के स्तर पर पहुंच गया था। सामान्य दौर में, विक्स 15-17 के बीच घूमता रहता है और बाजार जब सहज स्थिति में होता है तो यह 12-13 के निचले स्तर पर पहुंच जाता है। 12-13 के स्तर पर यह बीते साल जुलाई-अगस्त के दौरन था, जब बाजार में लगातार तेजी देखने को मिल रही थी।
हालांकि, बड़े इवेंट से पहले और मुश्किल दौर में इंडिया विक्स काफी हद तक अमेरिका के वॉलेटिलिटी इंडेक्स सीबीओई विक्स (CBOE VIX) की तरह तेजी से बदलाव के लिए जाना जाता है। आम बजट (Union Budget) और चुनाव के नतीजे कुछ बड़े इवेंट हैं, जो विक्स इंडेक्स में उतार-चढ़ाव की वजह हैं।
2021 के बजट से पहले विक्स बढ़कर 26 पर पहुंच गया था
उदाहरण के लिए, 2021 के आम बजट से पहले विक्स बढ़कर 26 तक पहुंच गया था और कोविड की दूसरी लहर अप्रैल-मई में आई थी, जिस समय इंडेक्स 29 तक पहुंच गया था।
ट्रेडर्स सिस्टम में डर का अंदाजा लगाने के लिए इस इंडेक्स पर पैनी नजर रखते हैं और यह उन ट्रेडर्स के लिए काफी अहम है, जो इंडेक्स और चुनिंदा स्टॉक्स में ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स में लिखते हैं। ऊंचे विक्स के दौरान ऑप्शंस राइटर्स भारी प्रीमियम मांगते हैं, क्योंकि मार्केट के वॉलेटाइल रहने का अनुमान होता है। याद रखिए कि किसी कॉन्ट्रैक्ट का बायर उसका प्रयोग करता है तो ऑप्शंस राइटर्स कॉन्ट्रैक्ट को पूरा करने के लिए बाध्य होते हैं।
उतार-चढ़ाव के दौर में बढ़ जाता है रिस्क
निश्चित रूप से उतार-चढ़ाव के दौर में रिस्क भी काफी ज्यादा होता है। इसके विपरीत, जब बाजार में उतार-चढ़ाव नहीं होता है तो वे बाई का ऑप्शन चुनते हैं, क्योंकि उन्हें सस्ता बाई का ऑप्शन मिल जाता है। स्टेबिल बाजार में, सामान्य रूप से ऑप्शंस राइटर्स ज्यादातर समय फायदे में होते हैं, क्योंकि कीमतें एक रेंज में बनी रहती हैं।
ऑप्शन ट्रेडिंग (खरीद या बिक्री) उन प्रोफेशनल ट्रेडर्स के लिए अच्छी होती है जिनके बाद आधुनिक एनालिटिक टूल्स हों और जोखिम की क्षमता ज्यादा हो।