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Ukraine-Russia तनाव के बढ़ने के बीच India VIX में 20% से ज्यादा का आया उछाल, जानिए बाजार के इस भारी-उठापटक पर क्या है एक्सपर्ट्स की राय

भारतीय इक्विटी मार्केट में वोलैटिलिटी के मानक इंडेक्स India VIX में आज जोरदार उछाल देखने को मिला और यह 22.72 के स्तर पर पहुंच गया जो 27 जनवरी के बाद का हाइएस्ट लेवल है.

MoneyControl Newsअपडेटेड Feb 14, 2022 पर 6:18 PM
Ukraine-Russia तनाव के बढ़ने के बीच India VIX में 20% से ज्यादा का आया उछाल, जानिए बाजार के इस भारी-उठापटक पर क्या है एक्सपर्ट्स की राय
जियोजित फाइनेंशियल के वी के विजयकुमार का भी कहना है कि लॉन्ग टर्म निवेशक इस तरह की शॉर्ट टर्म उठापटक पर ध्यान ना दें और इस गिरावट में हाई क्वालिटी के फाइनेंशियल और आईटी शेयरों को अपने पोर्टफोलियो में शामिल करें

14 फरवरी को बाजार में वोलैटिलिटी (उतार-चढ़ाव) और बढ़ती नजर आई। रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव ने कच्चे तेल की सप्लाई से जुड़ी चिंता को बढ़ा दिया है। जिसके चलते क्रूड की कीमतें 7 साल से ज्यादा के शिखर पर पहुंच गई हैं। इसके अलावा कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त के कारण अमेरिका में भी महंगाई और तेजी से बढ़ती नजर आ रही है जिसकी वजह से इस बात की उम्मीद बढ़ी है कि यूएस फेड महंगाई से निपटने के लिए ज्यादा जल्दी और तेजी से ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकता है।

भारतीय इक्विटी मार्केट में वोलैटिलिटी के मानक इंडेक्स India VIX में आज जोरदार उछाल देखने को मिला और यह 22.72 के स्तर पर पहुंच गया जो 27 जनवरी के बाद का हाइएस्ट लेवल है। गौरतलब है कि 27 जनवरी को इंट्राडे में India VIX 23.86 तक जाता दिखा था।

02.28 बजे के आसपास एनएसई पर India VIX 22.53 के स्तर पर नजर आ रहा था जो 11 फरवरी के 18.68 के क्लोजिंग से 20.58 फीसदी ज्यादा था। सामान्य तौर पर जब इक्विटी मार्केट में अनिश्चितिता बढ़ती है तो वोलैटिलिटी भी बढ़ जाती है और जब अनिश्चितता घटती है तो वोलैटिलिटी कम हो जाती है और बाजार स्थिर हो जाता है। जिससे मंदडियों पर तेजड़ियों को बढ़त मिलती है।

TIW Capital Group के मोहित रल्हान का कहना है कि रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव और इससे जुड़ी अनिश्चितता के कारण बाजार में वोलैटिलिटी बढ़ गई है। बाजार पर एक बड़ी लड़ाई की लटकती तलवार का खतरा हावी हो गया है जिससे बिकवाली का दबाव बना है। उनका यह भी कहना है कि इस खतरे का असर शॉर्ट टर्म में ही रहेगा क्योंकि दुनिया की दो सबसे बड़ी परमाणु महाशक्तियों के बीच वास्तविक और लंबी लड़ाई की संभावना बहुत कम है।

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