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बजट के बाद भी फिक्स्ड इनकम एसेट्स पर बना रहेगा इनवेस्टर्स का भरोसा, जानिए इसकी वजह

स्टॉक मार्केट्स की तरह बॉन्ड मार्केट को भी वित्तमंत्री के बजट भाषण का काफी इंतजार रहता है। इसकी वजह यह है कि इससे सरकार की प्राथमिकताओं और फोकस का पता चलता है। इस बार के बजट से सरकार के बीच का रास्ता अपनाने का संकेत मिलता है

MoneyControl Newsअपडेटेड Jul 24, 2024 पर 1:46 PM
बजट के बाद भी फिक्स्ड इनकम एसेट्स पर बना रहेगा इनवेस्टर्स का भरोसा, जानिए इसकी वजह
बजट में हुए ऐलान बॉन्ड मार्केट्स के लिए अच्छे हैं। लोकल और ग्लोबल इनवेस्टर्स की राय इंडियन फिक्स्ड इनकम एसेट्स को लेकर पॉजिटिव बनी रह सकती है।

फाइनेंशियल मार्केट्स उत्सुकता से हर साल वित्तमंत्री के बजट भाषण का इंतजार करता है। इसकी वजह यह है कि इससे सरकार की प्राथमिकता और फोकस का पता चलता है। इससे शेयर बाजार को यह अंदाजा लगाने में मदद मिलती है कि आगे किन शेयरों में नरमी और किनमें सुस्ती आ सकती है। बॉन्ड मार्केट की नजरें बजट में होने वाले कुछ खास ऐलान पर होती हैं। इनमें फिस्कल डेफिसिट का टारगेट और सरकार बॉन्ड्स के जरिए कर्ज लेने का सरकार का प्लान शामिल हैं। कई बार फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स और शेयरों पर इन ऐलान का अलग-अलग तरह से असर पड़ता है। उदाहरण के लिए बजट में सरकार के खर्च बढ़ाने के ऐलान का स्टॉक मार्केट स्वागत करता है, जबकि इसका बॉन्ड मार्केट के सेंटिमेंट पर खराब असर पड़ सकता है।

फिस्कल डेफिसिट पर फोकस

केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के 10 साल पूरे हो गए हैं। सरकार की फिस्कल पॉलिसी की दिशा साफ हो चुकी है। इस साल 1 फरवरी को पेश अंतरिम बजट में सरकार ने FY25 में फिस्कल डेफिसिट जीडीपी का 5.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। कर्ज से पैसे जुटाने का अनुमान 14.13 लाख करोड़ रुपये था। सरकार को RBI से बंपर डिविडेंड मिला है। इसलिए सरकार का फिस्कल डेफिसिट कम रहने का अनुमान है। इससे सरकार को बाजार से कम कर्ज लेना पड़ेगा। अगले 12-18 महीनों में कई बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

बजट में संतुलन बनाने की कोशिश

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