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इनवेस्टर्स को हाल में मार्केट में आई रिकवरी से ज्यादा उत्साहित नहीं होना चाहिए, जानिए क्यों

2008 की ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस (Global Financial Crisis) के बाद से इंडिया का करेंट अकाउंट ज्यादातर निगेटिव रहा है। सिर्फ कोविड-19 की महामारी के दौरान यह थोड़े समय के लिए पॉजिटिव था

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 10, 2022 पर 11:54 AM
इनवेस्टर्स को हाल में मार्केट में आई रिकवरी से ज्यादा उत्साहित नहीं होना चाहिए, जानिए क्यों
इंडिया में 2013 में करेंट अकाउंट की बड़ी क्राइसिस देखने को मिली थी। तब सरकार और RBI को हालात में सुधार के लिए कुछ बड़े कदम उठाने पड़े थे।

विजय कुमार गाबा

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में 9 नवंबर को संकेत दिया कि फाइनेंस मिनिस्ट्री (Finance Ministry) के इनटर्नल एसेसमेंट के मुताबिक इंडिया का बैलेंस ऑफ पेमेंट (BoP) के करेंट फिस्कल ईयर में 45-50 अरब डॉलर के डेफिसिट में पहुंच जाने के आसार हैं। यह डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत के लिए अच्छी खबर नहीं है। इसके बावजूद पिछले कुझ दिनों में रुपये में करीब दो महीने में सबसे ज्यादा मजबूती आई है।

यह ध्यान में रखने वाली बात है कि 2008 की ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस (Global Financial Crisis) के बाद से इंडिया का करेंट अकाउंट ज्यादातर निगेटिव रहा है। सिर्फ कोविड-19 की महामारी के दौरान यह थोड़े समय के लिए पॉजिटिव था। जून 2022 में खत्म तिमाही में इंडिया का करेंट अकाउंट डेफिसिट 23.9 अरब डॉलर था। यह 2012 की अंतिम तिमाही के बाद से सबसे खराब है।

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