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सेबी ने न्यूक्लियस सॉफ्टेवयर इनसाइडर ट्रेडिंग मामले में दो लोगों पर लगाया 25 लाख जुर्माना

सेबी ने इस मामले में 23 सितंबर को ऑर्डर जारी किया। इसमें कहा गया है कि अनुपम गुप्ता और नितिन गुप्ता को इनसाइडर ट्रेडिंग से जुड़े नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया गया। सेबी ने कहा है कि नितिन के पास कंपनी में उनकी पोजीशन की वजह से ऐसी जानकारियां थी, जिनका असर शेयरों की कीमतों पर पड़ सकता था

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 23, 2025 पर 10:41 PM
सेबी ने न्यूक्लियस सॉफ्टेवयर इनसाइडर ट्रेडिंग मामले में दो लोगों पर लगाया 25 लाख जुर्माना
रेगुलेटर ने कहा कि शेयरों को बेचने का मकसद सिर्फ संवेदनशील जानकारियों का इस्तेमाल कर मुनाफा कमाना था।

सेबी ने न्यूक्लियस सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट्स से जुड़े इनसाइडर ट्रेडिंग मामले में दो लोगों पर 25 लाख पेनाल्टी लगाई है। रेगुलेटर ने इस बारे में 23 सितंबर को ऑर्डर जारी किया। इसमें कहा गया है कि अनुपम गुप्ता और नितिन गुप्ता को इनसाइडर ट्रेडिंग से जुड़े नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया गया। सेबी ने कहा है कि नितिन के पास कंपनी में उनकी पोजीशन की वजह से ऐसी जानकारियां थी, जिनका असर शेयरों की कीमतों पर पड़ सकता था। यह जानकारियां पब्लिश्ड नहीं थीं।

सेबी के मुताबिक, ये जानकारियां कंपनी के फाइनेंशियल रिजल्ट्स से जुड़ी थीं। नितिन ने ये जानकारियां अनुपम को दी। इसके बाद अनुपम ने न्यूक्लियस सॉफ्टवेयर के शेयरों में ट्रेडिंग की। सेबी के ऑर्डर में कहा गया है कि नोटिसी इस आरोप को गलत साबित नहीं कर पाया कि संवेदनशील जानकारियां नितिक की तरफ से अनुपम को दी गई। जब अनुपम ने कंपनी के शेयरों में ट्रेडिंग की तब उसके पास ये जानकारियां थीं।

रेगुलेटर ने कहा है कि यह ध्यान देने वाली बात है कि नोटिसी की तरफ से इस बात का संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया कि न्यूक्लियस के फाइनेंशियल रिजल्ट्स आने के ठीक बाद न्यूक्लियस के शेयरों को बेचने की क्यों जल्दबाजी थी। इस तरह की जल्दबाजी को देखकर यह संकेत मिलता है कि ट्रेडिंग का मकसद उन जानकारियों का फायदा उठाना था, जो अभी सार्वजनिक नहीं हुई थीं। नोटिसी इस जानकारी के सार्वजनिक होने से पहले उसका फायदा उठाना चाहता था।

नोटिसी ने यह दलील दी कि उसे शेयरों को बेचने से हुए प्रॉफिट सिर्फ एक संयोग है। उनका कहना था कि उन्होंने पहले ही अपने ब्रोकर को 26 मई, 2023 को शेयरों को बेच देने को कहा था। लेकिन, शेयरों को तब बेचा गया जब उनकी कीमतें चढ़ गईं। सेबी ने इस दलील को खारिज कर दी। रेगुलेटर ने कहा कि शेयरों को बेचने का मकसद सिर्फ संवेदनशील जानकारियों का इस्तेमाल कर मुनाफा कमाना था।

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