Credit Cards

Jane Street ने भारत को बनाया नोट छापने की मशीन, 2 साल तक छापता रही नोट

जेन स्ट्रीट की शुरुआत 2000 में कुछ पूर्व ट्रेडर्स और इंजीनियर्स ने मिलकर की थी। यह एल्गोरिद्म के इस्तेमाल से हाई-फ्रीक्वेसी ट्रेडिंग करने वाली फर्मों को लिए सुनहरा समय था। फाइबर ऑप्टिक केबल्स और माइक्रोवेव टावर्स की वजह से ट्रेडिंग की रफ्तार बहुत तेज हो गई थी

अपडेटेड Jul 10, 2025 पर 12:35 PM
Story continues below Advertisement
न्यूयॉर्क की कंपनी जेन स्ट्रीट का ट्रेडिंग रेवेन्यू 2024 में 20.5 अरब डॉलर पहुंच गया।

जेन स्ट्रीट ने इंडियन मार्केट को नोट छापने की मशीन बना ली थी। वह दो साल तक नोट छापता रहा। इससे उसने 4 अरब डॉलर की कमाई की। लेकिन, उसकी काली करतूतों से पर्दा हटने के बाद उसके सुनहरे दिन खत्म हो सकते हैं। सेबी ने 3 जुलाई को जेन स्ट्रीट को बैन कर दिया। जेन स्ट्रीट की कंपनियां इंडियन मार्केट में किसी तरह की ट्रेडिंग नहीं कर सकतीं। सेबी ने गलत तरीके से हुई कमाई का एक हिस्सा (4000 करोड़ रुपये से ज्यादा) जब्त करने का भी आदेश दिया है।

जेन स्ट्रीट की खास ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी

Jane Street ने इंडियन मार्केट में मैनिपुलेशन के आरोपों का खंडन किया है। लेकिन, जेन स्ट्रीट की बुलेट की रफ्तार से बढ़ी कमाई उसके ट्रडिंग प्रैक्टिसेज पर सवालिया निशान खड़े करती है। सेबी का आरोप है कि जेन स्ट्रीट ने Bank Nifty इंडेक्स में ऐसी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल किया, जिससे मार्केट में उसे भारी प्रॉफिट हुआ। लेकिन, जेन स्ट्रीट ने इसे 'बेसिक इंडेक्स ऑर्बिट्राज' बताया है। इसमें स्टॉक मार्केट्स के कैश सेगमेंट और डेरिवेटिव सेगमेंट्स में कीमतों के बीच के फर्क से प्रॉफिट कमाया जाता है। लेकिन, सेबी का मानना है कि जेन स्ट्रीट ने सोच-समझकर इस स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल किया, जो गलत है।


जेन स्ट्रीट की ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी पर सवाल

Piper Serica के फाउंडर और फंड मैनेजर अभय अग्रवाल का कहना है कि इंडेक्स आर्बिट्राज से फायदा उठाने वाली जेन स्ट्रीट अकेली विदेशी ट्रेडिंग फर्म नहीं है। लेकिन, वह निगाहों में इसलिए आ गई क्योंकि उसने इंडेक्स आर्बिट्राज से भारी प्रॉफिट कमाना शुरू कर दिया। जेन स्ट्रीट के मामले पर प्रतिद्वंद्वी ट्रेडिंग फर्मों की राय मिलीजुली है। XTX Markets के फाउंडर अलेक्जेंडर गेर्को ने कहा कि इस मामले के बारे में सुनने के बाद मेरे दिमाग में सबसे पहली बात यह आई कि दूसरों से ज्यादा स्मार्ट होना गलत नहीं है। गेर्को ने कहा, "लेकिन, सेबी की 105 पेज की रिपोर्ट पढ़ने के बाद उनकी राय बदल गई। अगर आप सेबी के आरोपों को ध्यान से पढ़ें तो ऐसा लगता है कि यह पूरा मामला काफी बदबूदार है।"

हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग की शुरुआत

जेन स्ट्रीट की शुरुआत 2000 में कुछ पूर्व ट्रेडर्स और इंजीनियर्स ने मिलकर की थी। यह एल्गोरिद्म के इस्तेमाल से हाई-फ्रीक्वेसी ट्रेडिंग करने वाली फर्मों को लिए सुनहरा समय था। फाइबर ऑप्टिक केबल्स और माइक्रोवेव टावर्स की वजह से ट्रेडिंग की रफ्तार बहुत तेज हो गई थी। ट्रेडिशनल ब्रोकरेज फर्में और इनवेस्टमेंट बैंक पीछे छूट गए थे। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि जेन स्ट्रीट ने टेक्नोलॉजी और ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी के घालमेल से बड़ी कमाई की।

यह भी पढ़ें: SEBI जेन स्ट्रीट के खिलाफ आपराधिक मुकदमा शुरू कर सकता है, हो सकती है 10 साल तक की जेल

जेन स्ट्रीट ने कमाई अकूत संपत्ति

न्यूयॉर्क की इस कंपनी (जेन स्ट्रीट) का ट्रेडिंग रेवेन्यू 2024 में 20.5 अरब डॉलर पहुंच गया। इसकी कमाई की रफ्तार का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इसका रेवेन्यू 2019 में सिर्फ 2.1 अरब डॉलर था। 2025 की पहली तिमाही में इसका ट्रेडिंग रेवेन्यू 7.2 डॉलर था, जो मॉर्गन स्टेनली से ज्यादा है। यह गोल्डमैन सैक्स के ट्रेडिंग रेवेन्यू के करीब है। कम समय में रेवेन्यू बढ़ने की यह रफ्तार चौंकाती है। सेबी जेन स्ट्रीट के खिलाफ लगे आरोपों की व्यापक जांच कर रही है। उसके बाद ही पता चलेगा कि जेन स्ट्रीट ने इंडियन मार्केट्स में किस-किस तरह से प्रॉफिट कमाए।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।