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लागत बढ़ने और रुपये के कमजोर होने से ऑयल एंड गैस कंपनियों के मार्जिन पर बना रहेगा दबाव: ICICI सिक्योरिटीज

ICICI सिक्योरिटीज के एनर्जी एनालिस्ट प्रोबल सेन का मानना ​​है कि गैस कंपनियों के मार्जिन पर कम से कम अगले कुछ क्वार्टर तक दबाव बना रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत की तेल और गैस कंपनियों को ग्लोबल गैस की ऊंची कीमतों, बदलते सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट और कमजोर रुपये के असर जैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है

MoneyControl Newsअपडेटेड Dec 05, 2025 पर 3:42 PM
लागत बढ़ने और रुपये के कमजोर होने से ऑयल एंड गैस कंपनियों के मार्जिन पर बना रहेगा दबाव: ICICI सिक्योरिटीज
रत अपना ज़्यादातर कच्चा तेल और नैचुरल गैस इंपोर्ट करता है, इसलिए कमज़ोर करेंसी हर शिपमेंट की कॉस्ट बढ़ा देती है।

Oil And Gas Companies:  ICICI सिक्योरिटीज के एनर्जी एनालिस्ट प्रोबल सेन का मानना ​​है कि गैस कंपनियों के मार्जिन पर कम से कम अगले कुछ क्वार्टर तक दबाव बना रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत की तेल और गैस कंपनियों को ग्लोबल गैस की ऊंची कीमतों, बदलते सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट और कमजोर रुपये के असर जैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

प्रोबल सेन ने बताया कि कई सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूटर (CGDs) ने पिछले कुछ महीनों में अपनी सोर्सिंग स्ट्रैटेजी बदल दी है। LNG को पूरी तरह से लॉन्ग-टर्म या स्पॉट कॉन्ट्रैक्ट पर खरीदने के बजाय वे अब अपनी गैस का कुछ हिस्सा US गैस बेंचमार्क हेनरी हब के आधार पर खरीदते हैं। लेकिन हेनरी हब की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं, और सेन ने भारतीय इंपोर्टर्स पर इसके सीधे असर पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा, "यह देखते हुए कि हेनरी हब की कीमतें बढ़ने लगी हैं, इसका मतलब है कि गैस की कीमत महंगी होने लगेगी।" इससे इंद्रप्रस्थ गैस (IGL) और महानगर गैस (MGL) जैसे CGDs के लिए कच्चे माल की लागत बढ़ जाती है।

उन्होने आगे कहा कि कंपनियां अपने कॉन्ट्रैक्ट में कम से कम “टेक-या-पे” क्वांटिटी तक अपनी खरीद को लिमिटेड रखकर और बाकी को स्पॉट LNG जैसे सस्ते सोर्स पर शिफ्ट करके इसे मैनेज करने की कोशिश कर रही हैं। फिर भी, सेन का मानना ​​है कि इन कदमों से झटका थोड़ा ही कम हो सकता है।

दूसरी बड़ी मुश्किल रुपया का कमज़ोर होना है। भारत अपना ज़्यादातर कच्चा तेल और नैचुरल गैस इंपोर्ट करता है, इसलिए कमज़ोर करेंसी हर शिपमेंट की कॉस्ट बढ़ा देती है।

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