Market Fall : बाजार में पिछले दो दिन की गिरावट की एक वजह मार्जिन कॉल ट्रिगर होना माना जा रहा है। दरअसल बाजार में इस समय एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के मार्जिन फंडिंग वाले सौदे (MTF सौदे) खड़े हैं। MTF के तहत ब्रोकर्स 4 गुना तक मार्जिन देते हैं। शेयर भाव गिरने पर मार्जिन शॉर्टफॉल होता है। सूत्रों के मुताबिक सोमवार को मार्जिन फंडिंग से जुड़ी बिकवाली हुई है। ट्रेडर्स के मार्जिन ट्रिगर होने से बिकवाली बढ़ी है। मार्जिन ट्रेडिंग फंडिंग वाले शेयरों में बिकवाली ज्यादा बढ़ी है। ट्रेडर्स के मार्जिन नहीं दे पाने से शेयर लिक्विडेट हुए हैं।
एनएसई के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि MTF सौदे तेजी से बढ़े हैं। 2020 के अंत में 7500 करोड़ रुपए के MTF सौदे हुए थे। वहीं, मौजूदा MTF सौदे 1.12 लाख करोड़ रुपए के आसपास है। इस अवधि में इसमें 14 गुना की बढ़त हुई है। 2020 में 49 MTF वाले शेयर में 7,479 करोड़ रुपए की MTF उधारी थी। वहीं, 2021 में 150 MTF वाले शेयर में 23,737 करोड़ रुपए की MTF उधारी हो गई। 2022 में 171 MTF वाले शेयर में 27,972 करोड़ रुपए की MTF उधारी देखने को मिली।
2023 में 302 MTF वाले शेयर में 49,690 करोड़ रुपए की MTF उधारी देखने को मिली। वहीं, 2024 में 373 MTF वाले शेयर में 82,836 करोड़ रुपए की MTF उधारी रही। 2025 में अब तक 2,101 MTF वाले शेयर में 1.12 लाख करोड़ रुपए की MTF उधारी है।
क्या है मार्जिन ट्रेडिंग फंडिंग?
मार्जिन ट्रेडिंग एक ऐसा तरीका है जो ट्रेडरों को उनकी क्षमता से अधिक निवेश करने की सुविधा प्रदान करता है। दूसरे अर्थों में मार्जिन ट्रेडिंग उन शेयरों को खरीदने का एक तरीका है जिन्हें आप खरीद नहीं सकते। आपको शेयरों को उनके वास्तविक मूल्य के एक अंश पर खरीदने की सुविधा मिलती है। यह ब्रोकरों द्वारा मार्जिन नकद या स्टॉक के रूप में गिरवी रखकर दिया जाता है। यानी ब्रोकर, ट्रेडर या निवेशक को मार्जिन देता है। ब्रोकर ट्रेडर को 4 गुना तक मार्जिन देते हैं। बदले में ब्रोकर, ट्रेडर से ब्याज लेते हैं। 4 गुना तक मार्जिन का मतलब है कि अगर कोई ट्रेडर किसी शेयर की खऱीद के लिए 200 का अपफ्रंट पेमेंट करता है तो उसको 800 रुपए की ब्रोकर फंडिंग मिल सकती है।
मार्जिन ट्रेडिंग दोनों तरफ़ से की जा सकती है। यानी, बॉय और सेल दोनों तरह के सौदों में इसका इस्तेमाल हो सकता है। यह बाजार में सिक्योरिटीज और फंड की मांग और आपूर्ति को बढ़ाने में मदद करता है। इससे बेहतर लिक्विडिटी और सिक्योरिटीज के प्राइस डिस्कवरी में मदद मिलती है।
मार्जिन ट्रेडिंग निवेशकों को अपनी क्षमता से ज्यादा खरीदने/बेचने की सुविधा देती है। ऐसे में अगर शेयर की कीमतें उम्मीद के मुताबिक बढ़ती हैं तो निवोशकों का फायदा बढ़ता है लेकिन,दूसरी ओर अगर कीमतें उम्मीद के विपरीत गिरती हैं,तो यह नुकसान को और बढ़ा देती है। उदाहरण के लिए मान लीजिए कोई निवेशक अपने 250 रुपए में चार गुना मार्जिन सुविधा का इस्तेमाल करते हुए 1000 की कीमत वाले शेयर खरीदता है और 750 रुपए की राशि मार्जिन ट्रेडिंग सुविधा के तहत ब्रोकर से उधार लेता है। ऐसे में अगर शेयर का भाव 10 फीसदी तक बढ़ जाता है, तो निवेशक को 20 फीसदी का रिटर्न मिलेगा। लेकिन,इसके विपरीत अगर शेयर का भाव 10 फीसदी तक गिर जाता है तो निवेश तो 20 फीसदी नुकसान होगा। शेयर का भाव गिरता है तो मार्जिन कॉल ट्रिगर होती है। मार्जिन नहीं भरने पर ब्रोकर सौदे काट देता है। मार्जिन सौदे कटने से बाजार में भी तेज गिरावट आती है। इस प्रकार मार्जिन ट्रेडिंग में किसी ग्राहक को बड़े घाटे और बड़े नुकसान दोनों की संभावना रहती है।
बाजार में इस समय एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के मार्जिन फंडिंग वाले सौदे (MTF सौदे) खड़े हैं। MTF सौदे वाले शेयरों पर नजर डालें तो HAL में 1677 करोड़ रुपए के, Jio Fin में 1399 करोड़ रुपए के मझगांव डॉक में 1200 करोड़ रुपए के, ट्रेंट में 1107 करोड़ रुपए के BEL में 1042 करोड़ रुपए के, टाटा मोटर्स PV में 1,022 करोड़ रुपए के, TCS में 946 करोड़ रुपए के, सुजलॉन एनर्जी में 913 करोड़ रुपए के, यस बैंक में 906 करोड़ रुपए के और नजारा टेक में 901 करोड़ रुपए के MTF सौदे खड़े हैं।