आंखे दिमाग की खिड़की हैं। कुदरत की सबसे बड़ी नेमत हैं। इन आंखों से ही तो दुनिया देखते हैं। लेकिन अब इन आंखों से आप सबसे ज्यादा स्क्रीन देखते हैं। जी हां, तरह तरह के स्क्रीन। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक, मोबाइल स्क्रीन। दफ्तर में लैपटॉप या डेस्कटॉप का स्क्रीन। मनोरंजन के लिए टैब का स्क्रीन या टीवी का स्क्रीन। गेमिंग कंसोल का स्क्रीन। सिनेमा हॉल का स्क्रीन। पैसे निकालने के लिए ATM का स्क्रीन। रेलवे स्टेशन पर स्क्रीन, एयरपोर्ट पर स्क्रीन, बाजार में एडवर्टिजमेंट के स्क्रीन। स्क्रीन, स्क्रीन और स्क्रीन। कुदरत ने देखने के लिए क्या-क्या नहीं दिया। मगर क्या करें अब आंखों के सामने से एक स्क्रीन हटता नहीं कि दूसरा आ जाता है। मगर क्या आपने कभी सोचा है कि लगातार एकटक स्क्रीन देखने की ये मजबूरी या फिर कहें लत आपकी आंखों पर जुल्म है। आखिर क्या करें कि इस मजबूरी में कम से कम आंखों को कुछ राहत दे सकें।