खुदरा निवेशकों के बीच स्टॉक मार्केट में निवेश का क्रेज कितना बढ़ा है, इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि NSE पर लिस्टेड शेयरों में खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गई है। प्राइम डेटाबेस ग्रुप के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर तिमाही में NSE पर लिस्टेड शेयरों में खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़कर 7.62 फीसदी पर पहुंच गई जो रिकॉर्ड हाई है। खुदरा निवेशकों ने सितंबर तिमाही में 7,596 करोड़ रुपये की नेट खरीदारी की। हालांकि सरकार की हिस्सेदारी तेजी से गिरी है। 30 जून 2009 को सरकार की हिस्सेदारी 22.48 फीसदी थी और अब यह 8.79 फीसदी रह गई है लेकिन यह पांच साल का हाई है। वहीं प्राइवेट प्रमोटर्स की हिस्सेदारी गिरकर चार साल के निचले स्तर 41.55 फीसदी पर आ गई। सिर्फ एक साल में ही इसने हिस्सदारी 3.06 फीसदी कम की है।
FIIs और DIIs के निवेश के बीच घट रहा अंतर
घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) की होल्डिंग 50 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गई। अब अगली कुछ तिमाहियों में माना जा रहा है कि इसका निवेश FIIs से भी अधिक हो जाएगा। FII और DII के बीच निवेश का फर्क अब रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। घरेलू निवेशकों की हिस्सेदारी अब विदेशी निवेशकों की तुलना में महज 13.11 फीसदी कम रह गई है। सबसे तगड़ा गैप 31 मार्च 2015 को था जब DII की हिस्सेदारी FII की तुलना में 49.82 फीसदी कम थी।
FII और DII के ओनरशिप का रेश्यो भी मार्च 2015 तिमाही में 1.99 से घटकर सितंबर 2023 तिमाही में 1.15 फीसदी के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई है। घरेलू म्यूचुअल फंडों ने सितंबर तिमाही में 53,715 करोड़ रुपये का नेट इनवेस्टमेंट किया जबकि इंश्योरेंस कंपनियों ने 23,996 करोड़ रुपये और बैंकों ने 10,424 करोड़ रुपये की नेट बिक्री कर दी। DII का ओवरऑल नेट इनफ्लो सितंबर तिमाही में 42,632 करोड़ रुपये पर रहा।
निवेशकों ने कहां लगाए पैसे और कहां की बिकवाली
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने कैपिटल गुड्स सेक्टर में 19375 करोड़ रुपये, फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर में 7882 करोड़ रुपये और आईटी सेक्टर में 7549 करोड़ रुपये का निवेश किया है। वहीं मेटल्स एंड माइनिंग से 11,493 करोड़ रुपये, सर्विसेज सेक्टर से 4932 करोड़ रुपये और तेल और गैस सेक्टर से 3120 करोड़ रुपये निकाल लिए। घरेलू म्यूचुअल फंडों की हिस्सेदारी 8.63 फीसदी से बढ़कर 8.73 फीसदी हो गई। म्यूचुअल फंडों ने हेल्थकेर और कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी सेक्टर (जैसे कि एंटरटेनमेंट) में अपना निवेश बढ़ाया जबकि इंडस्ट्रियल और फाइनेंशियल सर्विसेज में अपनी हिस्सेदारी कम की।
वहीं इंश्योरेंस कंपनियों की हिस्सेदारी जून तिमाही में 5.66 फीसदी से घटकर सितंबर तिमाही में 5.48 फीसदी पर आ गई। इंश्योरेंस कंपनियों ने FMCG और टेलीकॉम में हिस्सेदारी कम करते हुए आईटी और सर्विसेज सेक्टर में अपना एक्सपोजर बढ़ाया है। ओवरऑल बात करें तो प्रमोटर्स, FIIs और DIIs ने जिन 12 कंपनियों में हिस्सेदारी बढ़ाई है, वे हैं-विप्रो, एजिस लॉजिस्टिक्स, बॉम्बे बर्मा ट्रेडिंग कॉर्प., महाराष्ट्र सीमलेस, मिसेज बेक्टर्स फूड स्पेशलिटीज, मैन इंफ्राकंस्ट्रक्शन, ग्रीनपैनल इंडस्ट्रीज, रैलिस इंडिया, चॉइस इंटरनेशनल, थिरुमलाई केमिकल्स, फूड्स एंड इन्स और स्नोमैन लॉजिस्टिक्स।