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Pharma Stocks: इन शेयरों को मिलने वाला है बूस्टर डोज, नया कानून पास होते ही लगाएंगे फर्राटा दौड़

Pharma Stocks: फार्मा कंपनियों के शेयरों में एक नए कानून के चलते हलचल देखी जा रही है। खास बात यह है कि यह कानून भारत में नहीं, बल्कि अमेरिका में बनाया जा रहा है। इसका नाम है बॉयोसिक्योर एक्ट (Biosecure Act)। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस कानून के लागू होने से भारतीय फार्मा कंपनियों के शेयरों में शानदार तेजी देखने को मिल सकती है

Moneycontrol Newsअपडेटेड Sep 11, 2024 पर 4:22 PM
Pharma Stocks: इन शेयरों को मिलने वाला है बूस्टर डोज, नया कानून पास होते ही लगाएंगे फर्राटा दौड़
Pharma Stocks: अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने 9 सितंबर को Biosecure Act का ड्राफ्ट पास किया

Pharma Stocks: फार्मा कंपनियों के शेयरों में एक नए कानून के चलते हलचल देखी जा रही है। खास बात यह है कि यह कानून भारत में नहीं, बल्कि अमेरिका में बनाया जा रहा है। इसका नाम है बॉयोसिक्योर एक्ट (Biosecure Act)। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस कानून के लागू होने से भारतीय फार्मा कंपनियों के शेयरों में शानदार तेजी देखने को मिल सकती है। अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स, यानी वहां के लोकसभा ने 9 सितंबर को एक नए कानून का ड्राफ्ट पास किया जिसे Biosecure Act का नाम दिया गया है। अब यह एक्ट वहां के राज्यसभा यानी अमेरिकी सीनेट के पास फाइनल वोट के लिए जाएगा। इस कानून का मुख्य उद्देश्य है अमेरिकी फार्मा कंपनियों की चीन पर निर्भरता को खत्म करना और टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर पर रोक लगाना।

इस एक्ट के तहत, 5 चीनी कंपनियों को सीधे निशाने पर लिया गया है - वूशी एपटेक (WuXi Apptec), वूशी बायोलॉजिक्स (Wuxi Biologics), बीजीआई (BGI), एमजीआई (MGI), और कम्प्लीट जीनोमिक्स (Complete Genomics)। इस कानून के लागू होने के बाद अब अगर कोई अमेरिकी कंपनी इन चीनी कंपनियों के साथ काम करती है, तो उन्हें अमेरिकी सरकार से मिलने वाला ग्रांट्स, लोन या कॉन्ट्रैक्ट्स बंद हो जाएगा। इस नए कानून के कारण करीब 120 अमेरिकी बायोफार्मास्युटिकल दवाएं जांच के दायरे में आ सकती हैं।

अब सवाल यह है कि इस नए कानून का सबसे ज्यादा फायदा किसे होगा? इसका सीधा जवाब है – भारतीय फार्मा कंपनियां! बॉयोसिक्योर एक्ट के बाद, अमेरिका और चीन के बीच कारोबार में कटौती होगी, और इसका सीधा फायदा भारत की उन फार्मा कंपनियों को होगा जो CDMO सेगमेंट यानी कॉन्ट्रैक्ट डेवलपमेंट एंड मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस में काम करती हैं। CDMO बिजनेस का मतलब है कि कॉन्ट्रैक्ट लेकर दूसरी कंपनियों के लिए दवाएं बनाना।

भारत की कई बड़ी फार्मा कंपनियों के पास इस फील्ड में महारत है। इसमें डिवीज लैब्स (Divi's Labs), लॉरैस लैब्स (Laurus Labs), न्यूलैंड लैबोरेटरीज (Neuland Laboratories), सिनजीन (Syngene), सुवेन फार्मा (Suven Pharma) और पीरामल फार्मा (Piramal Pharma)शामिल हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है नए बदलाव से इन कंपनियों को सीधे फायदा हो सकता है और ये अब अमेरिकी कंपनियों के लिए चीन का विकल्प बन सकती हैं।

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