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RBI पॉलिसी के बाद BFSI सेगमेंट पर पॉजिटिव नजरिया कायम, ब्याज दरों में वृद्धि का चक्र अपने चरम पर

आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024 के लिए महंगाई का अनुमान 5.3 फीसदी से घटाकर 5.2 फीसदी कर दिया है। आरबीआई का मानना है कि सामान्य मानसून, रबी की बेहतर फसल और अनुकूल बेस इफेक्ट के कारण आगे महंगाई में कमी आएगी। हमारा मानना है कि यह लक्ष्य काफी यथार्थवादी है। इससे ये संकेत भी मिलता है कि अब नीतिगत दरें इसी स्तर पर लंबे समय तक टिकेंगी। आरबीआई ने ब्याज दरों पर अस्थायी रोक लगाकर बाजार को चौंका दिया। लेकिन साथ ही अपने रुख को कड़ा बनाए रखा

अपडेटेड Apr 07, 2023 पर 4:32 PM
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वित्त वर्ष 2024 में BFSI सेक्टर की क्रेडिट ग्रोथ डबल डिजिट में बनी रहेगी। इसके अलावा हायर मार्जिन और असेट क्वालिटी में सुधार के चलते इस सेक्टर के मुनाफे में भी बढ़त देखने को मिल रही है

सुशांत भंसाली, सीईओ एंबिट एसेट मैनेजमेंट

आरबीआई ने 6 अप्रैल को सबको सरप्राइज करते हुए, रेपो दर को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला किया और बाजार को चौंका दिया। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) में दरों में कोई बदलाव न करने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया था। हालांकि, सामान्य परंपरा से हटकर आरबीआई गवर्नर ने स्पष्ट किया कि विराम अस्थायी है और आगे आने वाले महंगाई आंकड़ों के आधार पर दरों की समीक्षा की जाएगी। इससे मौद्रिक नीति में लचीलापन और संतुलन आएगा। इसी समय एमपीसी ने 5:1 के बहुमत से एकोमोडेटिव नजरिए को वापस लेने का अपना रुख बरकरार रखा।

आरबीआई ने ब्याज दरों पर अस्थायी रोक लगाकर बाजार को चौंकाया


हमारा मानना है कि आरबीआई ने ब्याज दरों पर अस्थायी रोक लगाकर बाजार को चौंका दिया। लेकिन साथ ही अपने रुख को कड़ा बनाए रखा। दरों में अब तक की गई बढ़त का अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभाव का मूल्यांकन करने लिए लिया गया ये विराम काफी अहम है। हमारा मानना है कि वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने और विकास और महंगाई के जोखिम को संतुलित करने के लिए यह सही रणनीति है। हमारा यह भी मानना है कि वर्तमान में आरबीआई दुनिया के सबसे अच्छे केंद्रीय बैंकों में से एक है और लगातार दूसरे देशों के केंद्रीय बैंको पर अपनी बढ़त बनाए हुए।

वित्त वर्ष 2024 की लिए GDP ग्रोथ रेट फ्रंट-एंडेड होने की उम्मीद

वित्तवर्ष 2024 के भारत के रियल जीडीपी ग्रोथ अनुमान में 10 आधार अंको की बढ़त करके इसको 6.5 फीसदा कर दिया गया है। वित्त वर्ष 2024 की लिए GDP ग्रोथ रेट फ्रंट-एंडेड होने की उम्मीद है। इसका मतलब है कि वित्त वर्ष 2024 की पहली छमाही, वित्त वर्ष 2024 की दूसरी छमाही से बेहतर रहने की संभावना है। ये देश की अर्थव्यवस्था में निहित मजबूती के प्रति विश्वास का प्रतीक है। साथ ही, वित्त वर्ष 2023 के लिए जीडीपी ग्रोथ लक्ष्य को 6.8 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया गया है।

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आरबीआई का महंगाई अनुमान काफी यथार्थवादी

आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024 के लिए महंगाई का अनुमान 5.3 फीसदी से घटाकर 5.2 फीसदी कर दिया है। आरबीआई का मानना है कि सामान्य मानसून, रबी की बेहतर फसल और अनुकूल बेस इफेक्ट के कारण आगे महंगाई में कमी आएगी। हमारा मानना है कि यह लक्ष्य काफी यथार्थवादी है। इससे ये संकेत भी मिलता है कि अब नीतिगत दरें इसी स्तर पर लंबे समय तक टिकेंगी।

ब्याज दरों में बढ़त के चक्र पर लगेगी लगाम

वित्त वर्ष 2024 के लिए RBI का CPI 5.2 फीसदी पर रहने का अनुमान यथार्थ के काफी करीब दिखता है। गैर-कृषि वस्तुओं के भाव अपने पीक से नीचे आने शुरू हो गए हैं। रबी की फसल के रिकॉर्ड उत्पादन की संभावना से आउटलुक और पॉजिटिव होगा। इसके चलते कच्चे तेल की कीमते 85 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बने रहने बावजूद ब्याज दरों में बढ़त के चक्र पर लगाम लगता दिखेगा।

आरबीआई गवर्नर के मुताबिक भारत में आर्थिक गतिविधि में मजबूती बनी हुई है। रबी के उत्पादन में मजबूती के चलते ग्रामीण मांग में सुधार की संभावनाओं को मजबूती मिली है। मार्च 2023 तक बैंक क्रेडिट में 15.4 फीसदी की बढ़त हुई है। अंतरराष्ट्रीय मानकों की तुलना में भारत का बाहरी ऋण अनुपात (external debt ratio) कम है।

थोक महंगाई में लगातार गिरावट अच्छा संकेत

इस समय का सबसे अहम मैक्रो ट्रेंड जो हमें देखने को मिल रहा है वो ये है कि हमें देश में थोक महंगाई में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। जिसके चलते लगभग 2 साल के अंतराल के बाद देश में थोक महंगाई की दर रिटेल महंगाई की तुलना में 250 बेसिस प्वाइंट (2.50 फीसदी) नीचे है। यह एक बड़ा पाॉजिटिव संकेत है और इसके चलते आगे हमें एफएमसीजी, गैर-जरूरी उपभोक्ता सामानों और इंडस्ट्रियल सेक्टर की कंपनियों के ग्रॉस मार्जिन में बढ़त देखने को मिलेगी।

भारत की ग्रोथ काफी व्यापक आधार वाली रहने की संभावना

कुल मिलाकर भारत की ग्रोथ काफी व्यापक आधार वाली रहने की संभावना है। बुवाई क्षेत्र में बढ़त के चलते ग्रामीण इलाकों में रिकवरी देखने को मिलेगी। इसके साथ ही जीएसटी कलेक्शन में बढ़त, मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विसेज पीएमआई में सुधार, क्षमता उपयोग (capacity utilization) में सुधार और इकोनॉमी में कर्ज की बढ़ती मांग के चलते उपभोक्ता और इंडस्ट्री के कॉन्फिडेंस में सुधार होगा।

BFSI सेक्टर पर पॉजिटिव नजरिया कायम

ऐसे में हम बीएफएसआई (BFSI) सेक्टर पर अपने पॉजिटिव नजरिए पर कायम है। हमारा मानना है कि वित्त वर्ष 2024 में BFSI सेक्टर की क्रेडिट ग्रोथ डबल डिजिट में बनी रहेगी। इसके अलावा हायर मार्जिन और असेट क्वालिटी में सुधार के चलते इस सेक्टर के मुनाफे में भी बढ़त देखने को मिल रही है। आरबीआई का ब्याज दरों में वृद्धि चक्र अब अपने चरम पर है। यहां से इसमें गिरावट ही आएगी। ऐसे में बीएफएसआई सेक्टर हमें अभी भी अच्छा लग रहा है। बताते चलें कि बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्‍योरेंस को मिलाकर BFSI सेगमेंट बनता है

 

सुशांत भंसाली एंबिट एसेट मैनेजमेंट के सीईओ हैं। उनके पास 19 साल से ज्यादा का अनुभव है। सुशांत एक चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं और इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, हैदराबाद से बिजनेस मैनेजमेंट में पोस्ट-ग्रेजुएट डिप्लोमा भी रखते हैं।

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