विदेशी संस्थागत निवेशक 7 महीने के गैप के बाद इंडियन फिक्स्ड इनकम एसेट पर एक बार फिर से मेहरबान नजर आ रहे थे। अगस्त में डेट मार्केट में अब तक विदेशी निवेशकों की तरफ से हुआ निवेश इसकी गवाही है। लेकिन शुक्रवार को यूएस फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल के जैक्सन होल स्पीच के बाद यह डर पैदा हो गया है कि कहीं बॉन्ड मार्केट की यह खुशी 4 दिनों की ही तो नहीं है!
अगस्त महीने में अब तक एफआईआई ने 62.4 करोड़ डॉलर के घरेलू बॉन्डों की खरीद की है। बता दें कि जनवरी से जुलाई तक के 7 महीने में बॉन्ड मार्केट में एफआईआई नेट सेलर रहे थे। शुक्रवार को जेरोम पॉवेल ने महंगाई को नियत्रंण में लाना अपनी प्राथमिकता बताई थी। उन्होंने यह भी कहा था कि जब तक अमेरिका में महंगाई 2 फीसदी पर नहीं आ जाती तब तक ब्याज दरों में बढ़त जारी रहेगी। जेरोम पॉवेलके बयान के बाद ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील छोटी अवधि के और 10 ईयर वाले बॉन्ड की यील्ड बढ़ गई। जबकि शेयर बाजार में जोरदार बिकवाली देखने को मिली।
मनीकंट्रोल को ई-मेल के जरिए दिए गए अपने एक जवाब में DBS Bank की राधिका राव ने कहा कि जेरोम पॉवेल की कमेंट्री के बाद अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी की दशा और दिशा पर एक बार फिर से नए सिरे से अनुमान लगाए जा रहे हैं। इस बयान के बाद बाजार में आई वोलैटिलिटी के चलते निवेशक सतर्क हो गए हैं।
गौरतलब है कि भारतीय बाजार में भी कल जेरोम पॉवेल के बयान का असर देखने को मिला। भारत के 10 ईयर बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड में बढ़त देखने को मिली जबकि डॉलर के मुकाबले रुपया 80 के अपने ओल टाइम लो पर जाता नजर आया। इस स्थिति में सिर्फ एक ही चीज है जो विदेशी निवेशकों को भारत में रोके रख सकती है वह है भारतीय रिजर्व द्वारा भी अपने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की जाए। हालांकि बाजार जानकारों का अनुमान है कि आरबीआई भी अपनी दरों में बढ़ोतरी करेगा लेकिन यह बढ़ोतरी यूएस फेड की तुलना में कम होगी।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि आरबीआई की तरफ से ब्याज दरों में की जाने वाली बढ़त 0.50 फीसदी की पिछली बढ़त की तुलना में कम रहेगी। जिसका मतलब यह है कि अमेरिका और भारत के बीच ब्याज दरों का अंतर कम हो सकता है। जानकारों का कहना है कि कुछ और भी कारण हैं जिनके चलते भारतीय बॉन्ड मार्केट में विदेशी निवेशकों की रुचि बनी रह सकती है।
बैंक ऑफ बडौदा के मदन सबनवीस (Madan Sabnavis) का कहना है कि पश्चिमी देशों में निवेश योग्य फंड में बढ़ोतरी देखने को मिली है और हमें इससे फायदा हुआ है। चूंकि रुपये ने दूसरी करेंसियों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है ऐसे में फॉरेक्स से जुड़ा जोखिम कम हुआ है। इस सबके साथ भारत के ब्याज दर के स्तर ने भी भारतीय बॉन्ड मार्केट में विदेशी निवेशकों की रुचि बनाए रखने में सहायता की है। हालांकि बॉन्ड मार्केट काफी वौलेटाइल रहा है।
इसके अलावा भारतीय सॉवरेन बॉन्ड को ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किए जाने से जुड़ी खबरों ने बॉन्ड मार्केट के सेटीमेंट को बूस्ट दिया है। भारतीय सॉवरेन बॉन्ड के गोल्ड बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किए जाने का मतलब यह होगा कि ग्लोबल फंड मैनेजर भारतीय फिक्स्ड इनकम मार्केट में बड़ी मात्रा में निवेश कर सकेंगे।
जानकारों का कहना है कि अगर इंडियन सॉवरेन बॉन्ड, ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में शामिल कर लिया जाता है तो घरेलू डेट मार्केट में कम से कम 30 अरब डॉलर का निवेश आएगा।
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