Indian Bond Market: भारतीय कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट छह साल में दोगुना हो जाएगा। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल रेटिंग्स के मुताबिक अभी बॉन्ड मार्केट का साइज 43 लाख करोड़ रुपये है और वित्त वर्ष 2030 तक यह यह बढ़कर 100-120 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा। क्रिसिल रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर सोमासेखर वेमुरी के मुताबिक ऐसे समय में जब इंफ्रा और कॉरपोरेट सेक्टर्स में कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ रहा है, बॉन्ड निवेशकों के लिए इंफ्रा सेक्टर आकर्षक बन रहा है और मजबूत रिटेल क्रेडिट ग्रोथ बॉन्ड सप्लाई को बढ़ावा दे सकती है। परिवारों की बढ़ती बचत से इसकी मांग मजबूत हो सकती है। रेटिंग एजेंसी के मुताबिक इसे चार अहम फैक्टर्स से सपोर्ट मिलेगा। इसमें से तीन फैक्टर्स सप्लाई साइड से हैं और एक फैक्टर डिमांड साइड से है। यहां इन सभी फैक्टर्स के बारे में जानकारी दी जा रही है।
सप्लाई साइड से तीन फैक्टर्स हैं सपोर्ट में
क्रिसिल के मुताबिक वित्त वर्ष 2023 से वित्त वर्ष 2027 के बीच इंफ्रा और कॉरपोरेट सेक्टर्स में करीब 110 लाख करोड़ रुपये का कैपिटल एक्सपेंडिचर हो सकता है। यह पिछले पांच वित्त वर्षों के मुकाबले 1.7 गुना है। क्रेडिट रिस्क प्रोफाइल में सुधार, रिकवरी से जुड़ी संभावनाओं और लॉन्ग टर्म प्रकृति के चलते इंफ्रा एसेट्स निवेशकों को आकर्षक लग रहे हैं। वॉल्यूम के हिसाब से इंफ्रा सेक्टर की सालाना कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट में सिर्फ 15 फीसदी हिस्सेदारी ही है लेकिन विभिन्न नीतिगत उपायों के चलते कई स्ट्रक्चरल इंप्रूवमेंट्स के चलते अब बीमा कंपनियों और पेंशन फंडों के लिए यह आकर्षक हो सकता है।
रिटेल क्रेडिट ग्रोथ पर बात करें तो निजी स्तर पर खपत की ग्रोथ और सुदूर इलाके फॉर्मल क्रेडिट की पहुंच की स्पीड बनी रह सकती है। भारत में रिटेल क्रेडिट मार्केट जीडीपी की 30 फीसदी है जो विकसित देशों की तुलना में कम है जैसे कि अमेरिका में कैलेंडर वर्ष 2022 में यह करीब 54 फीसदी था। रिटेल क्रेडिट को फंड मुहैया कराने वाली नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनीज (NBFCs) फंड जुटाने के लिए बॉन्ड जारी करती हैं। केंद्रीय बैंक RBI ने NBFC के बैंक एक्सपोजर के लिए रिस्क वेट में बदलाव किया है जिससे अब NBFC फंड जुटाने के लिए बॉन्ड की तरफ अधिक झुक सकती हैं।
डिमांड साइड कैसे मिलेगा Bond Market को सपोर्ट
अब डिमांड साइड बात करें तो एनालिस्ट्स के मुताबिक सेविंग्स के लिए लोग कॉरपोरेट बॉन्ड्स जैसे नए निवेश विकल्प पर गौर कर सकते हैं। निवेशक तेजी से कैपिटल मार्केट एसेट्स में पैसे लगा रहे हैं। पिछले पांच वर्षों में बैंकों में डिपॉजिट्स सालाना 10 फीसदी की चक्रवृद्धि दर (CAGR) से बढ़ा है जबकि मैनेज्ड इनवेस्टमेंट 16 फीसदी की CAGR से बढ़ा है। क्रिसिल का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2027 तक मैनेजमेंट इनवेस्टमेंट सेगमेंट में एसेट्स वित्त वर्ष 2027 तक लगभग दोगुनी होकर 315 लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंच जाएगी। यह निवेश इक्विटी और डेट में तो होगा ही लेकिन इसका एक अच्छा-खासा हिस्सा कॉर्पोरेट बॉन्ड मार्केट में भी आ सकता है।