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SBI MF के दिनेश बालाचंद्रन को मार्केट में तेजी लौटने की उम्मीद, कहा-कंजम्प्शन में रिकवरी जारी रहने पर तेजी आएगी

दिनेश बालाचंद्रन ने कहा कि पिछली चार तिमाहियों से अर्निंग्स में सुस्ती देखने को मिली है। इसकी बड़ी वजह फिस्कल कंसॉलिडेशन है। जीएसटी कंपनसेशन सेशन और इससे जुड़े उपाय कंसॉलिडेशन का हिस्सा रहे हैं। इसका असर ग्रोथ पर पड़ा है। फिलहाल एक्सटर्नल रिस्क भी दिख रहा है

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 03, 2025 पर 7:28 PM
SBI MF के दिनेश बालाचंद्रन को मार्केट में तेजी लौटने की उम्मीद, कहा-कंजम्प्शन में रिकवरी जारी रहने पर तेजी आएगी
बालाचंद्रन ने कहा कि उम्मीद है कि सरकार फिस्कल कंसॉलिडेशन की जगह ग्रोथ बढ़ाने वाले उपायों पर फोकस करेगी।

एसबीआई म्यूचुअल फंड के हेड (इनवेस्टमेंट) दिनेश बालाचंद्रन ने हमेशा वैल्यू और ग्रोथ इनवेस्टिंग के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है। वह जिन पोर्टफोलियो का प्रबंधन करते हैं, उन्हें देखने पर इसका पता चलता है। इनवेस्टमेंट की दुनिया में इस तरह का संतुलन कम देखने को मिलता है। आईआईटी बॉम्बे और फिर एमआईटी से पढ़ाई करने वाले बालाचंद्रन सीएफए चार्टरहोल्डर भी हैं। मनीकंट्रोल से बातचीत में उन्होंने इकोनॉमिक ग्रोथ और इनवेस्टमेंट सहित कई मसलों पर खुलकर बातचीत की। उन्होंने कहा कि वैल्यूएशन में कमी आ रही है। अगर कंजम्प्शन में रिकवरी जारी रहती है तो शेयरों में तेजी देखने को मिलेगी।

सरकार के रुख में आया है बदलाव

Corporate Earnings में रिकवरी की उम्मीदों के बारे में उन्होंने कहा कि पिछली चार तिमाहियों से अर्निंग्स में सुस्ती देखने को मिली है। इसकी बड़ी वजह फिस्कल कंसॉलिडेशन है। जीएसटी कंपनसेशन सेशन और इससे जुड़े उपाय कंसॉलिडेशन का हिस्सा रहे हैं। इसका असर ग्रोथ पर पड़ा है। फिलहाल एक्सटर्नल रिस्क भी दिख रहा है। लेकिन, इस बीच सरकार का रुख बदला है। पहले सरकार का रुख था कि हमने अपने हिस्से के उपाय कर दिए हैं। सरकार को अब आगे आने की जरूरत है। बाहरी दबाव नहीं बढ़ा होता तो जीएसटी रिफॉर्म्स नहीं हुआ होता।

पहले के मुकाबले अब रिकवरी की ज्यादा उम्मीद दिख रही

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