सेबी फॉरेन इनवेस्टर्स को अट्रैक्ट करने के लिए बड़े रिफॉर्म्स का प्लान बना रहा है। इसमें जल्द रजिस्ट्रेशन, कैश (इक्विटी) सेगमेंट में ट्रेडिंग की कॉस्ट में कमी और शॉर्ट सेलिंग को आसान बनाने जैसे उपाय शामिल हैं। सेबी चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने 12 नवंबर को यह जानकारी दी। पांडेय का फोकस फॉरेन इनवेस्टर्स, डोमेस्टिक फंड्स और कंपनियों के लिए नियमों को आसान बनाने पर रहा है।
फॉरेन फंड्स ने इंडिया में बड़ी बिकवाली की है
Tuhin Kanta Pandey इस साल मार्च में SEBI के चेयरमैन बने थे। तब से उन्होंने निवेश से जुड़े नियमों को आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। सेबी ऐसे वक्त रिफॉर्म्स करने के बारे में सोच रहा है, जब फॉरेन फंड्स इंडियन मार्केट्स में बिकवाली कर रहे हैं। इस साल विदेशी फंडों ने इंडियन मार्केट्स में करीब 17 अरब डॉलर की बिकवाली की है। उधर, अमेरिका ने इंडिया पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया है। इसका असर मार्केट्स पर पड़ा है।
फॉरेन फंड्स के रजिस्ट्रेशन में लगने वाला समय घटेगा
सेबी चेयरमैन ने कहा, "देश और विदेश में फॉरेन पार्टिसिपेंट्स के साथ बातचीत में मुझे लगा कि सबसे बड़ा मसला यह है कि हमारे रेजिस्ट्रेशन प्रोसेस में काफी समय लग जाता है। यह स्वीकार्य नहीं है।" उन्होंने कहा कि हम इसे घटाकर एक महीना नहीं बल्कि कुछ दिन तक लाना चाहते हैं। रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को आसान बनाने और इसमें लगने वाले समय में कमी के उपायों के फॉरेन फंड्स की दिलचस्पी इंडियन मार्केट्स में बढ़ सकती है।
इक्विटी के कैश सेगमेंट में लिक्विडिटी बढ़ाने के होंगे उपाय
सेबी कैश (इक्विटी) मार्केट्स के विस्तार के लिए भी कदम उठाने के बारे में सोच रहा है। रेगुलेटर इसके लिए ट्रेडिंग से जुड़े मार्जिन के नियमों पर विचार करेगा। सेबी चेयरमैन ने कहा, "पिछले कुछ सालों में कैश मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ी है। लेकिन, हम इसमें और वृद्धि चाहते हैं। कुछ फैसले मार्जिन के बारे में भी लेने पड़ सकते हैं।" हालांकि, उन्होंने इस बारे में विस्तार से बताने से इनकार कर दिया।
डेरिवेटिव सेगमेंट का आकार कैश के मुकाबले काफी ज्यादा
इंडियन सिक्योरिटी मार्केट्स का ट्रेंड ग्लोबल मार्केट्स से अलग दिख रहा है। इंडिया में डेरिवेटिव्स मार्केट का साइज कैश मार्केट के 300 गुना से ज्यादा है। इसकी बड़ी वजह फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में बढ़ती दिलचस्पी है। रिटेल इनवेस्टर्स बड़ी संख्या में एफएंडओ ट्रेडिंग कर रहे हैं। सेबी कई बार इस पर चिंता जता चुका है। उसने एफएंडओ में रिटेल इनवेस्टर्स की ट्रेडिंग को हतोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
नए उपायों से पहले पुराने उपायों के असर पर नजर
पांडेय ने कहा कि सेबी ने 'प्रोडक्ट सूटेबिलिटी' रूल्स का ऑप्शन भी खुला रखा है। ऐसे उपायों से रिस्की माने जाने वाले डेरिवेटिव में रिटेल इनवेस्टर्स का ट्रेडिंग करना मुश्किल हो जाएगा। रेगुलेटर डेरिवेटिव मार्केट में बढ़ते ट्रेड्स पर अंकुश लगाने के लिए कुछ नए उपायों पर विचार कर रहा है। पांडेय ने कहा कि सेबी पहले उन उपायों के असर के बारे में जानना चाहता है, जिन्हें वह लागू कर चुका है।