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दो ऑपरेटर्स पर चला SEBI का डंडा, गैरकानूनी तरीके से अपनी झोली में भर रहे थे निवेशकों का पैसा; अब लौटाने होंगे ₹4.83 करोड़

SEBI के आदेश में कहा गया है कि कॉन्ट्रैक्ट्स का नेचर और ट्रेड्स का एग्जीक्यूशन एकदम स्पष्ट तौर पर इस बात की ओर इशारा करता है कि यह एक सोची-समझी, पहले से प्लान धोखाधड़ी थी। मार्केट रेगुलेटर का आदेश 27 जनवरी 2021 से लेकर 1 फरवरी 2022 तक की अवधि के लिए ऑपरेटर्स के ट्रेड्स के निष्कर्षों पर बेस्ड है

Edited By: Ritika Singhअपडेटेड Jun 21, 2025 पर 11:48 PM
दो ऑपरेटर्स पर चला SEBI का डंडा, गैरकानूनी तरीके से अपनी झोली में भर रहे थे निवेशकों का पैसा; अब लौटाने होंगे ₹4.83 करोड़
पटिया और नरवारे ने निवेशकों के ट्रेडिंग अकाउंट के लॉग इन क्रेडेंशियल्स लेकर स्टॉक ऑप्शंस में इस तरह दांव लगाया कि निवेशकों को भारी नुकसान हुआ।

कैपिटल मार्केट रेगुलेटर SEBI ने दो ऑपरेटर्स- शिवप्रसाद पटिया और अल्केश नरवारे को 3 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। आरोप है कि उन्होंने धोखाधड़ी के जरिए इलिक्विड स्टॉक ऑप्शंस में आर्टिफीशियल वॉल्यूम क्रिएट किया और इनवेस्टर्स के साथ बेइमानी की। SEBI ने दोनों ऑपरेटर्स से 4.83 करोड़ रुपये की अवैध कमाई वसूलने का भी निर्देश दिया है। साथ ही उन पर 25—25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। मार्केट रेगुलेटर का आदेश 27 जनवरी 2021 से लेकर 1 फरवरी 2022 तक की अवधि के लिए ऑपरेटर्स के ट्रेड्स के निष्कर्षों पर बेस्ड है।

सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) का कहना है कि एक प्लान बनाया गया, जिसके तहत पटिया और नरवारे, कॉलर्स की मदद से निवेशकों को शेयर बाजार में निवेश करने के लिए कहते थे। निवेशकों को गारंटीड रिटर्न का लालच दिया जाता था। निवेशकों को ये कॉलर लगातार कॉल और मैसेज करते थे, उन्हें एल्गो ट्रेड्स या ऑटोमेटेड सॉफ्टवेयर ट्रेड्स के जरिए गारंटीड ​प्रॉफिट का झांसा देते थे। निवेशकों को विश्वास में लेने के बाद ऑपरेटर्स पटिया और नरवारे ने उनके ट्रेडिंग अकाउंट के लॉग इन क्रेडेंशियल्स लेकर स्टॉक ऑप्शंस में इस तरह दांव लगाया कि निवेशकों को भारी नुकसान हुआ।

इस तरह करते थे धोखाधड़ी

ऑपरेटर्स ने अपने द्वारा क्रिएट की हुई फ्रंट एंटिटीज के अकाउंट्स से इनलिक्विड, नियर एक्सपायरी स्टॉक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स में सेल ऑर्डर बेहद उच्च प्रीमियम पर प्लेस किए। फिर कुछ सेकेंड या मिनट के बाद अपने नियंत्रण में आ चुके इनवेस्टर्स ट्रेडिंग अकाउंट्स से बाय ऑर्डर प्लेस किए। बाय ऑर्डर के प्राइस और क्वांटिटी, सेल ऑर्डर से मिलते-जुलते रखे गए, जिससे ट्रांजेक्शन मैच हो गए। ये ट्रांजेक्शन 'आउट ऑफ मनी ऑप्शंस' में जानबूझकर रखे गए, जिससे निवेशक अपना पूरा प्रीमियम अमाउंट गंवा बैठे। प्रीमियम इनवेस्टर्स के अकाउंट्स से फ्रंट एंटिटीज के अकाउंट्स में प्रॉफिट के तौर पर चला गया और इनवेस्टर्स को नुकसान हो गया।

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