Get App

सेबी ट्रेड के पंचिंग एरर्स के मामलों में रियायत देने को तैयार, लेकिन उसे सर्कुलर ट्रेडिंग और टैक्स चोरी का डर

पंचिंग एरर या एंट्री के वक्त गलती को ठीक करने के लिए क्लाइंट कोड मॉडिफिकेशन (CCM) का इस्तेमाल होता है। इसमें ट्रेड एग्जिक्यूट होने के बाद क्लाइंट के आइडेंटिफिकेशन कोड में बदलाव किया जाता है

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 22, 2025 पर 8:16 PM
सेबी ट्रेड के पंचिंग एरर्स के मामलों में रियायत देने को तैयार, लेकिन उसे सर्कुलर ट्रेडिंग और टैक्स चोरी का डर
प्रति पैन एक से ज्यादा क्लाइंट कोड्स की इजाजत से सर्कुलर ट्रेडिंग का रिस्क बढ़ जाता है।

सेबी ट्रेड्स में पंचिंग एरर के मामले में रियायत देना चाहता है, लेकिन उसे इसके दुरुयापयोग की चिंता है। उसे डर है कि सिक्योरिटी मार्केट में क्लाइंट कोड मॉडिफिकेशन (सीसीएम) और कस्टोडियन पार्टिसिपेंट (सीपी) एलोकेशन का दुरुपयोग हो सकता है। वह भी चाहता है कि इस रियायत की वजह से मार्केट इंटिग्रिटी पर किसी तरह का असर नहीं पड़ना चाहिए। यह यह भी पता लगा रहा है कि क्या 'genunine errors' की परिभाषा का विस्तार किया जा सकता है।

क्लाइंट कोड मॉडिफिकेशन का मतलब

क्लाइंट कोड मॉडिफिकेशन (CCM) का मतलब ट्रेड एग्जिक्यूट होने के बाद क्लाइंट के आइडेंटिफिकेशन कोड में बदलाव करना है। ऐसा मुख्य रूप से पंचिंग एरर या एंट्री के वक्त गलती को ठीक करने के लिए किया जाता है। सेबी का यह भी मानना है कि एक्सचेंज या क्लियरिंग कॉर्पोरेशन लेवल पर क्लाइंट कोड में मॉडिफिकेशन से टैक्स चोरी का रास्ता नहीं खुलना चाहिए। फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPI) के मामले में अलग-अलग पर्मानेंट अकाउंट नंबर्स (PAN) में इंट्रा-ग्रुप रीएलोकेशन की वजह से बेनेफिशियल ओनरशिप में बदलाव हो सकता है।

एक से ज्यादा क्लाइंट कोड की इजाजत से बढ़ता है रिस्क

सब समाचार

+ और भी पढ़ें