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SEBI ने एक्सचेंजों के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए पेश किए कई प्रस्ताव

सेबी ने तीन साल का एक आईपीएफ क्लेम लुकबैक पीरियड शुरू करने का प्रस्ताव पेश किया है। इसके तहत मेंबर के डिफॉल्टर घोषित होने से तीन साल पहले के ट्रांजेक्शंस ही आईपीएफ क्लेम के हकदार होंगे। इससे पुराने और बार-बार क्लेम के मामलों में कमी आएगी

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 08, 2025 पर 9:59 PM
SEBI ने एक्सचेंजों के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए पेश किए कई प्रस्ताव
रेगुलेटर ने इक्विटी और कमोडिटी आईपीएफ के विलय का भी प्रस्ताव पेश किया है।

सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों से जुड़े कई नियमों को आसान बनाने का प्रस्ताव पेश किया है। इनमें ब्रोकर्स के डिफॉल्ट करने पर क्लेम फाइल करने की समयसीमा तय करने का प्रस्ताव शामिल है। रेगुलेटर एक्सक्लूसिवली लिस्टेड कंपनियों के प्रमोटर्स के लिए नियमों को सख्त बनाना चाहता है। रेगुलेटर ने एक्सचेंज के इक्विटी और डेरिवेटिव सेगमेंट के इनवेस्टर प्रोटेक्शन फंड्स (आईपीएफ) के विलय का भी प्रस्ताव दिया है। हालांकि, सेबी के ज्यादातर प्रस्ताव का फोकस एक्सचेंजों के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर है।

आईपीएफ क्लेम लुकबैक पीरियड शुरू करने का प्रस्ताव 

SEBI ने तीन साल का एक आईपीएफ क्लेम लुकबैक पीरियड शुरू करने का प्रस्ताव पेश किया है। इसके तहत मेंबर के डिफॉल्टर घोषित होने से तीन साल पहले के ट्रांजेक्शंस ही आईपीएफ क्लेम के हकदार होंगे। इससे पुराने और बार-बार क्लेम के मामलों में कमी आएगी। रेगुलेटर के प्रस्ताव में कहा गया है कि एमएसईसीसी के नियमों में संशोधन होगा। इससे सिर्फ उन्हीं क्लेम को एलिजिबल माना जाएगा जिनमें अंडरलाइंड ट्रांजेक्शंस डिफॉल्ट डेक्लेयर होने के तीन साल पहले के दायरे में आएंगे।

इक्विटी और कमोडिटी आईपीएफ के विलय का प्लान

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