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रिटेल इनवेस्टर्स के लिए बंद नहीं होंगे इक्विटी डेरिवेटिव्स के दरवाजे, जानिए क्या है SEBI का प्लान

पिछले 5-6 महीनों में सेबी ने एफएंडओ सेगमेंट से जुड़े नियमों को सख्त बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके पीछे रेगुलेटर की यह सोच रही है कि एफएंडओ ट्रेड्स में काफी रिस्क होता है। इस रिस्क की समझ के बगैर एफएंओ सौदे करने वाले रिटेल इनवेस्टर्स को बड़ा नुकसान हो सकता है

Edited By: Rakesh Ranjanअपडेटेड Mar 13, 2025 पर 5:29 PM
रिटेल इनवेस्टर्स के लिए बंद नहीं होंगे इक्विटी डेरिवेटिव्स के दरवाजे, जानिए क्या है SEBI का प्लान
SEBI ने पिछले साल एक एक्सपर्ट वर्किंग ग्रुप बनाया था। इसे इनवेस्टर प्रोटेक्शन और बेहतर रिस्क मीट्रिक्स के उपायों पर विचार करने को कहा गया था।

हर कैटेगरी के निवेशकों के लिए डेरिवेटिव मार्केट्स के दरवाजे खुले रहेंगे। सेबी डेरिवेटिव मार्केट में पार्टिसिपेशन के लिए कोई शर्त तय नहीं करना चाहता है। सूत्रों ने मनीकंट्रोल को यह बताया है। काफी समय से डेरिवेटिव मार्केट में पार्टिसिपेशन के लिए कुछ शर्तें तय करने के प्रस्ताव पर चर्चा हो रही है। इसके पीछे यह सोच है कि डेरिवेटिव मार्केट में इनवेस्टर्स के लिए रिस्क काफी बढ़ जाता है। इस रिस्क को समझे बिना स्टॉक से जुड़े डेरिवेटिव सौदे करने पर बड़ा नुकसान हो सकता है।

रिटेल इनवेस्टर्स को नुकसान से बचाना है मकसद

पिछले कुछ सालों से 'प्रोडक्ट सुटेबिलिटी फ्रेमवर्क' पर चर्चा जारी है। खबरों के मुताबिक, SEBI इस ऑप्शन की संभावनाओं पर विचार कर सकता है। दरअसल, बीते 2-3 सालों में शेयरों के फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) सेगमेंट में रिटेल इनवेस्टर्स की दिलचस्पी काफी बढ़ी है। सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने इस पर चिंता जताई थीं। उन्हें एफएंडओ ट्रेडिंग में रिटेल निवेशको का पैसा डूबने का डर था। रिटेल इनवेस्टर्स के लिए एफएंडओ पार्टिसिपेशन को मुश्किल बनाने के लिए कई कदम भी उठाए गए।

इनवेस्टर के रिस्क प्रोफाइल जैसी शर्त की जरूरत नहीं

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