सहम गया शेयर बाजार, फेड के रेट बढ़ाने, कमजोर कंपनी नतीजे और रुपए के लगातार टूटने से बढ़ा डर
पिछले चार सत्रों से 10-वर्षीय अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड लगभग 22 बेसिस प्वाइंट उछला है। जबकि डॉलर इंडेक्स पिछले एक महीने में 109.80 के स्तर से बढ़कर 112.79 पर पहुंच गया है
एनालिस्ट का मानना है कि इस महीने के दौरान रुपया 82 - 83.15 के दायरे में चक्कर लगाता नजर आएगा
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से मौद्रिक नीतियों में सख्ती जारी रखने की उम्मीद के बीच सोमवार को भारतीय बाजार 1.3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट के साथ खुले। ग्लोबल संकेत भी कमजोर थे। शुक्रवार को डाओ जोंस में 2.1 फीसदी, एसएंडपी 500 में 2.8 फीसदी और नैस्डैक में 3.8 फीसदी की गिरावट आई थी।
निवेशकों की नजरें अब 12 अक्टूबर को आने वाले सितंबर महीनें के खुदरा महंगाई आंकड़ों पर लगी हुई है। निवेशक अमेरिका के सितंबर सीपीआई आंकड़ो और एफओएमसी मिनट पर भी नजरें लगाए हुए हैं।
हाल ही में जारी एक नोट में कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने कहा है कि भारतीय बाजारों पर घरेलू कारणों से ज्यादा वैश्विक मंदी, जियोपोलिटिकल तनाव के कारण ऊर्जा की कीमतों में बढ़त,डॉलर की मजबूती, दुनियाभर में बढ़ती महंगाई जैसे ग्लोबल फैक्टर्स का ज्यादा असर देखने को मिलेगा। कई ऐसे मैक्रो फंडामेंटल हैं, जो सोमवार की सुबह से बाजारों पर हावी है। जिनके कारण बाजार में गिरावट देखने को मिल रही है। आइए डालते हैं इन पर एक नजर
यूएस फेड की तरफ से ब्याज दरों में आक्रामक बढ़ोतरी का डर
निवेशकों का अनुमान है कि फेडरल रिजर्व के दो गवर्नरों की तरफ से बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने के लिए दरों में बढ़ोतरी जारी रखने के समर्थन के बाद अमेरिकी केंद्रीय बैंक अपनी नीतिगत दरों में बढ़ोतरी जारी रखेगा। शुक्रवार को गवर्नर क्रिस्टोफर वालर और लिसा कुक ने कहा था कि फेड को अगले साल की शुरुआत तक ब्याज दरों में बढ़ोतरी जारी रखने की जरूरत है जिससे बढ़ती महंगाई को नियंत्रित किया जा सके।
इस बीच आए अमेरिकी जॉब आंकड़ों के मुताबिक। अमेरिकी कंपनियों ने सितंबर में उम्मीद से ज्यादा लोगों को नौकरियां दी हैं। सितंबर में बेरोजगारी दर घटकर 3.7 फीसदी से घटकर 3.5 फीसदी पर आ गई है। विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका में बेरोजगारी दर घटने का मतलब है कि फेड को महंगाई पर नकेल कसने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि जारी रखनी होगी।
कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के साथ ही अमेरिकी ट्रेजरी और डॉलर इंडेक्स में उछाल से निवेशक चिंतित हैं। ओपेक + की तरफ उत्पादन में कटौती के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 97 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चला गया है। ब्रेंट क्रूड में 8 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई है। हालांकि सोमवार की सुबह क्रूड की कीमतों में मामूली गिरावट आई। फिर भी ये 97.03 डॉलर प्रति बैरल के आसपास दिख रहा है।
इसी तरह पिछले चार सत्रों से 10-वर्षीय अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड लगभग 22 बेसिस प्वाइंट उछला है। जबकि डॉलर इंडेक्स पिछले एक महीने में 109.80 के स्तर से बढ़कर 112.79 पर पहुंच गया है। निवेशक अब गुरुवार को आने वाले यूएस सितंबर सीपीआई आंकड़ो (खुदरा महंगाई आंकड़ो) और बुधवार को आने वाले एफओएमसी मिनट्स का इंतजार कर रहे हैं।
सितंबर तिमाही में कंपनियों की कमाई में नरमी की उम्मीद
सितंबर तिमाही में भारतीय कंपनियों की आय में नरमी की संभावना है। भले ही ऑटो और बैंकिंग फर्म मजबूत आय वृद्धि दिखाते नजर आ सकते हैं, विश्लेषकों को उम्मीद है कि कुल मुनाफे पर दबाव देखने को मिलेगा। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के EBITDA में होने वाले घाटे और अपस्ट्रीम तेल कंपनियों के हल्के मुनाफे के चलते सितंबर तिमाही का ओवर ऑल प्रदर्शन कमजोर रहेगा। सीमेंट, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स कंपनियों के मार्जिन पर उच्च लागत के कारण दबाव दिख सकता है, जबकि मेटल फर्मों की कंपनियों की कमाई घट सकती है।आईटी कंपनियों के लिए बढ़ती लागत और नौकरी छोड़ने की ऊंची दर प्रमुख चुनौतियां बनी रहेगी। एनालिस्ट का कहना है कि कुछ अहम ग्लोबल करोंसीज में आई गिरावट के तलते मजबूत डॉलर के फायदे बेमानी हो गए हैं।
ग्रोथ में गिरावट का अनुमान
बिगड़ते अंतरराष्ट्रीय माहौल का हवाला देते हुए विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2013 के लिए भारत के ग्रोथ अनुमान को घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया है। इसका बाजार पर निगेटिव असर देखने को मिला है। इसके कई दूसरी एजेंसियों ने भी जून तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़े आने के बाद भारत के अपने पूर्वानुमानों में बदल किया है। फिच ने हाल ही में भारत के लिए वित्त वर्ष 2013 के पूर्वानुमान को 7.8 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया है। इसी तरह मूडीज ने अपने अनुमान को 8.8 फीसदी से घटा कर 7.7 फीसदी और गोल्डमैन सैक्स ने अपने अनुमान के 7.6 फीसदी से घटा कर 7 फीसदी कर दिया है। सिटीग्रुप ने भी भारत के अपने ग्रोथ अनुमान को 8 फीसदी से घटा कर 6.7 फीसदी कर दिया। वहीं, RBI ने भी FY23 GDP अनुमान को 7.2 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया।
रुपये ने हिट किया नया रिकॉर्ड लो
डॉलर के मुकाबले रुपया नए रिकॉर्ड लो पर पहुंच गया है। दूसरी एशियाई करेंसी की तरह ही भारतीय रुपये में भी गिरावट जारी है। सोमवार को रुपया 82.72 के रिकॉर्ड लो पर जाता नजर आया है। 3 कारोबारी सत्रों में रुपया करीब 1.5 फीसदी टूटा है। एनालिस्ट का मानना है कि इस महीने के दौरान रुपया 82 - 83.15 के दायरे में चक्कर लगाता नजर आएगा।
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