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भारतीय कंपनियों के Q2 नतीजे पिछली 17 तिमाहियों में सबसे कमजोर, एक्सपर्ट्स की ये है राय

ACE इक्विटीज के अनुसार सितंबर तिमाही में 694 लिस्टेड कंपनियों के कुल नेट प्रॉफिट में सालाना केवल 3.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। यह जून 2020 तिमाही के बाद से सबसे धीमी ग्रोथ है। यह जून तिमाही में 15 फीसदी की ग्रोथ और एक साल पहले 29 फीसदी की ग्रोथ से भी काफी कम है

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 05, 2024 पर 8:20 PM
भारतीय कंपनियों के Q2 नतीजे पिछली 17 तिमाहियों में सबसे कमजोर, एक्सपर्ट्स की ये है राय
भारतीय कंपनियों ने FY25 की दूसरी तिमाही में अब तक कमजोर नतीजे जारी किए हैं।

Net profit growth: भारतीय कंपनियों ने FY25 की दूसरी तिमाही में अब तक कमजोर नतीजे जारी किए हैं। जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान इन कंपनियों के नेट प्रॉफिट में 3.6 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई, जो कि पिछली 17 तिमाहियों में सबसे धीमी है। कंपनियों के मुनाफे में इस गिरावट की मुख्य वजह सुस्त रेवेन्यू ग्रोथ और बढ़ती ब्याज और डेप्रिसिएशन कॉस्ट है। ACE इक्विटीज के अनुसार सितंबर तिमाही में 694 लिस्टेड कंपनियों के कुल नेट प्रॉफिट में सालाना केवल 3.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। यह जून 2020 तिमाही के बाद से सबसे धीमी ग्रोथ है। यह जून तिमाही में 15 फीसदी की ग्रोथ और एक साल पहले 29 फीसदी की ग्रोथ से भी काफी कम है।

सितंबर तिमाही में कैसे रहे भारतीय कंपनियों के नतीजे

मनीकंट्रोल डेटा से पता चलता है कि सितंबर तिमाही में नेट सेल्स ग्रोथ 8.04 फीसदी रही, जो पिछली तिमाही में 8.4 फीसदी से कम है। यह सिंगल-डिजिट रेवेन्यू ग्रोथ की लगातार छठी तिमाही है। सितंबर तिमाही में ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 22.03 फीसदी रहा, जो छह तिमाहियों में सबसे धीमी ग्रोथ है, जबकि जून तिमाही में यह 23.05 फीसदी था। इस एनालिसिस में बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज और ऑयल एंड गैस कंपनियां शामिल नहीं हैं, जो अलग-अलग रेवेन्यू मॉडल को फॉलो करती हैं।

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