वैश्विक मार्केट में उतार-चढ़ाव, इजराइल-हमास युद्ध और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के चलते आज घरेलू मार्केट में भी दबाव है। बाजार पर नजर रखने वालों का मानना है कि इजराइल-हमास युद्ध का असर कई देशों, अर्थशास्त्रों और सेक्टर्स पर व्यापक रूप से पड़ेगा। मार्केट एक्सपर्ट्स के चलते अभी इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता है कि मार्केट में कितनी गिरावट आएगी लेकिन गिरावट को वह वे खरीदारी के मौके के रूप में देख रहे हैं। कच्चे तेल की कीमतें आज शुरुआती कारोबार में ही 3-4 फीसदी उछल गई। इसके अलावा इजराईल और हमास के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है।
किस बात पर रहेगी मार्केट एक्सपर्ट्स की निगाहें
Abakkus Asset Manager LLP के फाउंडर सुनील सिंघानिया इजराइल और हमास के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है और फिलहाल निवेशकों की निगाहें इस पर हैं कि इसकी आंच ईरान तक पहुंचती है या नहीं। सुनील के मुताबिक यह ऐसी बात है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है लेकिन चूंकि अभी इसे लेकर कुछ ही दिन हुए हैं तो इस पर अगले कुछ दिन और इंतजार करना होगा। उनका कहना है कि इस प्रकार की वैश्विक घटनाओं से कोई भी बाजार अछूता नहीं रह सकता है।
ब्रोकरेज फर्म एचडीएफसी सिक्योरिटीज के प्रमुख (रिटेल रिसर्च) दीपक जसानी के मुताबिक बाजार में गिरावट इस बात से तय होगी कि इजराइल और हमास के बीच की लड़ाई मध्य-पूर्व क्षेत्र के बाकी हिस्सों में फैलता है या नहीं। तेल कारोबारियों का फोकस भी ईरान पर है जोकि तेल का अहम उत्पादक देश और हमास का समर्थक है। इजराइल और हमास के बीच अभी जितना तनाव बढ़ेगा, उससे वैश्वि स्तर पर रिस्क की क्षमता पर असर पड़ सकता है और वैश्विक बाजारों में कमजोरी आ सकती है।
इन्फॉमेरिक्स रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मनोरंजन शर्मा के मुताबिक बॉन्ड और इक्विटी बाजार में अस्थिरता रहेगी लेकिन अस्थायी तौर पर। बॉन्ड यील्ड में सख्ती आएगी और कंपनियों के लिए कर्ज की लागत बढ़ सकती है। मनोरंजन के मुताबिक अगर इजराइल और फिलीस्तीन के बीच की लड़ाई मध्य-पूर्व तक फैल गई तो कच्चे तेल की कीमतें बढ़ जाएंगी।
क्या करना चाहिए निवेशकों को
मनोरंजन शर्मा का कहना है कि ऐसे समय में निवेश के लिए सोना एक सुरक्षित विकल्प है। हेलिओस कैपिटल के फाउंडर और फंड मैनेजर समीर अरोड़ा का कहना है कि फिलहाल इंतजार करना चाहिए और स्थिति पर नजर रखनी चाहिए। रुस और यूक्रेन की लड़ाई के समय भी ऐसी ही स्थिति बनी थी लेकिन मार्केट में जितना अनुमान लगाया गया था, उतनी गिरावट नहीं आई थी। समीर के मुताबिक किसी भी तेज गिरावट को खरीदारी के मौके के रूप में देखना चाहिए। जेएम फाइनेंशियल सर्विसेज के निदेशक राहुल शर्मा के मुताबिक इस समय कच्चे तेल की कीमतों पर नजर है कि यह 95 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंचता है या नहीं। मौजूदा अनिश्चित परिस्थितियों में राहुल का कहना है कि डे ट्रेडिंग अधिक बेहतर है।
स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट के रिसर्च हेड संतोष मीना के मुताबिक निफ्टी 50 के लिए 19300–19250 काफी अहम लेवल है। संतोष के मुताबिक जब तक इस रेंज में बाजार स्थिर नहीं होता है, यह साइडवेज पैटर्न में बना रहेगा। इसे 19800 पर रेजिस्टेंस झेलना पड़ रहा है। संतोष मीना के मुताबिक अगर निफ्टी 19250 के नीचे आता है तो यह 18800 के लेवल तक फिसल सकता है। ऐसे में उन्होंने शॉर्ट टर्म ट्रेडर्स को सावधानी बरतने की सलाह दी है। वहीं लॉन्ग टर्म निवेशकों को तेज गिरावट पर खरीदारी की सलाह दी है।
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