TCS 11 अक्टूबर को दूसरी तिमाही के नतीजों के साथ ही शेयर बायबैक प्रोग्राम (TCS Share Buyback) का ऐलान करेगी। यह छह साल में कंपनी का पांचवां शेयर बायबैक होगा। कंपनी अपने बढ़ते कैश रिजर्व का कुछ हिस्सा इनवेस्टर्स को देने जा रही है। इससे पहले टीसीएस ने 2017, 2018, 2020 और 2022 शेयर बायबैक किए थे। पिछले छह साल में कंपनी ने 66,000 करोड़ रुपये के शेयर बायबैक किए हैं। टीसीएस इंडिया की सबसे बड़ी आईटी कंपनी है। इस कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 13 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है। 6,00,000 से ज्यादा लोग इस कंपनी में काम करते हैं।
शेयर बायबैक का मतलब क्या है?
पहले आपको बता दें कि बायबैक का मतलब क्या है। बायबैक में कंपनी अपने शेयर शेयरहोल्डर्स से खरीदती है। कंपनी इसके लिए बाजार में अपने शेयर की कीमत के मुकाबले कंपनी ज्यादा कीमत शेयरहोल्डर्स को ऑफर करती है। शेयरहोल्डर्स के पास अपने सभी शेयर या कुछ शेयर बायबैक में कंपनी को बेचने की इजाजत होती है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बायबैक के ऐलान से यह पता चलता है कि कंपनी को अपने बिजनेस की अच्छी ग्रोथ का भरोसा है।
टीसीएस पांच बार अपने शेयर बायबैक कर चुकी है
TCS ने पहली बार 2017 में शेयर बायबैक किया था। उसने फरवरी 2017 में बायबैक का ऐलान किया था। उसने 16,000 करोड़ रुपये बायबैक पर खर्च करने का फैसला किया था। तब कंपनी ने मार्केट में शेयर की कीमत के मुकाबले 18 फीसदी ज्यादा कीमत बायबैक के लिए तय की थी। दूसरे बायबैक का ऐलान जून 2018 में हुआ था। तब कंपनी ने 16,000 करोड़ रुपये इस पर खर्च किए थे। तीसरा बायबैक अक्टूबर 2020 में आया था। तब कंपनी ने 16,000 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर शेयरहोल्डर्स से खरीदे थे। कंपनी ने 2018 का बायबैक 18 फीसदी ज्यादा कीमत पर किया था। 2020 के बायबैक में उसने 10 फीसदी ज्यादा कीमत पर अपने शेयर खरीदे थे। आखिरी बायबैक जनवरी 2022 में आया था। इस पर कंपनी ने 18,000 करोड़ रुपये खर्च किए। इसके लिए कंपनी ने अपने शेयर खरीदने के लिए 17 फीसदी ज्यादा कीमत चुकाई थी।
बायबैक से क्या पता चलता है?
बायबैक से यह भी पता चलता है कि कंपनी अपने शेयर की फेयर वैल्यू कितना मानती है। आम तौर पर बायबैक के ऐलान के बाद शेयर की कीमत बायबैक में तय कीमत की तरफ बढ़ती हैं। लेकिन, टीसीएस के मामले में बायबैक के ऐलान के बाद शेयरों की कीमतों में तेजी की रफ्तार सुस्त रही है। टीसीएस ने 2017 में बायबैक के लिए जिस कीमत का ऐलान किया था, उस कीमत तक पहुंचने में इस शेयर को 228 सेशंस यानी करीब एक साल लग गए। 2018 में बायबैक के ऐलान के बाद शेयरों को तय कीमत तक पहुंचने में 69 सेशन लगे। 2020 के बायबैक के ऐलान के बाद 61 सेशन का समय लगा। लेकिन, 2020 में बायबैक के लिए तय 4,500 रुपये की कीमत तक अब तक कंपनी के शेयर नहीं पहुंच पाए हैं। 17 जनवरी, 2023 को कंपनी का शेयर 4,019 रुपये के अपने ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गया था। लेकिन, उसके बाद से इसमें गिरावट आई है। इसलिए इस दलील पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं किया जा सकता कि बायबैक शेयरों की कीमतों में तेजी की गारंटी है।
इस बार बायबैक पर कितना खर्च करेगी कंपनी?
30 जून, 2023 को टीसीएस के पास 7,123 करोड़ रुपये का कैश रिजर्व था। यह आंकड़ा ऊपर जा सकता है, क्योंकि एक तिमाही में कंपनी 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा कैश जेनरेट करती है। अगर पिछले डेटा को देखें तो टीसीएस इस बायबैक पर 18,000 करोड़ रुपये खर्च कर सकती है। यह देखना मजेदार होगा कि कंपनी बायबैक के लिए कितना प्राइस तय करती है। पिछले बायबैक के लिए तय प्राइस 4,500 रुपये था। इसके मुकाबले कंपनी के शेयर का करेंट प्राइस करीब 24 फीसदी नीचे हैं। जेपी मॉर्गन का कहना है कि कंपनी बायबैक पर 18,000 करोड़ रुपये खर्च कर सकती है। IIFL ने इसके 18,000-20,000 करोड़ के बीच रहने की उम्मीद जताई है। मॉर्गन स्टेनली ने इसके 18,000-25,000 करोड़ रुपये के बीच रहने का अनुमान जताया है।