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Auto Stocks: ट्रंप के टैरिफ रेट से Tata Motors को अधिक झटका क्यों? संभलने के लिए अब क्या है विकल्प?

Auto Stocks: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को टैरिफ रेट का ऐलान कर दिया। इसके झटके से ऑटो सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के शेयर कांप गई। हुंडई और टाटा मोटर्स जैसे दिग्गज भी बुरी तरह झुलस गए हैं। इनके शेयर ढाई फीसदी तक टूटे हैं। ट्रंप ने ऐलान किया है कि अमेरिका के बाहर बनी गाड़ियों पर 25 फीसदी का टैरिफ लगाया जाएगा

Edited By: Moneycontrol Hindi Newsअपडेटेड Apr 03, 2025 पर 1:03 PM
Auto Stocks: ट्रंप के टैरिफ रेट से Tata Motors को अधिक झटका क्यों? संभलने के लिए अब क्या है विकल्प?
ऑटो शेयरों में बिकवाली के चलते निफ्टी ऑटो इंडेक्स करीब एक फीसदी टूट गया।

Auto Stocks: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को टैरिफ रेट का ऐलान कर दिया। इसके झटके से ऑटो सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के शेयर कांप गई। हुंडई और टाटा मोटर्स जैसे दिग्गज भी बुरी तरह झुलस गए हैं। इनके शेयर ढाई फीसदी तक टूटे हैं। ट्रंप ने ऐलान किया है कि अमेरिका के बाहर बनी गाड़ियों पर 25 फीसदी का टैरिफ लगाया जाएगा। इस ऐलान पर हुंडई के शेयर 2 फीसदी से अधिक टूटकर ₹1,643 और टाटा मोटर्स करीब 2 फीसदी टूटकर ₹660.45 पर आ गए। ऑटो शेयरों में बिकवाली के चलते निफ्टी ऑटो इंडेक्स करीब एक फीसदी टूट गया और इसके 15 में से सिर्फ दो स्टॉक्स- आयशर मोटर्स (Eicher Motors) और मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) ही आज रेड से ग्रीन जोन में आ पाए हैं, लेकिन बढ़त मामूली ही है।

Tata Motors को Trump Tariff से सबसे अधिक झटका

ट्रंप के ऐलान का सबसे अधिक झटका टाटा मोटर्स पर पड़ने की आशंका जताई जा रही है क्योंकि इसकी लग्जरी सब्सिडरी जगुआर लैंड रोवर (JLR) के लिए अमेरिकी मार्केट काफी अहम है। जेएलआर ने वित्त वर्ष 2024 में दुनिया भर में 4 लाख यूनिट्स की बिक्री की थी जिसमें 23 फीसदी की बिक्री तो अकेले अमेरिका में हुई थी। फिज्डम के रिसर्च हेड नीरव करकेरा के मुताबिक मार्जिन बनाए रखने और गाइडेंस को लेकर कंपनी के पास विकल्प सीमित हैं तो यह कीमतों में बढ़ोतरी और लागत को कम से कम रखने की कोशिश करेगी।

हालांकि नीरव के मुताबिक इन स्ट्रैटेजीज से तुरंत रिजल्ट नहीं मिलेगा और नियर टर्म में तो रेवेन्यू और मुनाफे, दोनों को झटका लगेगा। मनीकंट्रोल से बातचीत में मोतीलाल ओसवाल के रिसर्च और वेल्थ मैनेजमेंट प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि टैरिफ के हिसाब से अगर जेएलआर आनुपातिक रूप से कीमतें बढ़ाती है, तो रेवेन्यू पर असर कम पड़ेगा लेकिन अगर ऊंची कीमतों के चलते मांग गिरती है, तो सेल्स वॉल्यूम और मार्जिन, दोनों पर असर पड़ेगा।

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