कर्ज में डूबी टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (Vodafone Idea Ltd) शायद बहुत ज्यादा दिनों तक न चल पाए और दिवालिया हो जाए। ऐसा हमारा नहीं बल्कि खुद कंपनी का कहना है। वोडाफोन आइडिया ने सरकार को चेतावनी दी है कि सरकार के सपोर्ट के बिना वह वित्त वर्ष 2025-26 से आगे काम नहीं कर पाएगी। उसे दिवालियापन यानि इनसॉल्वेंसी के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा।
Vodafone Idea का कहना है कि सरकारी सपोर्ट के अभाव में, सरकार की इक्विटी हिस्सेदारी की वैल्यू जीरो हो सकती है। नतीजतन, कंपनी से 1.18 लाख करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम बकाया की वसूली नहीं हो पाएगी। कंपनी ने यह भी दावा किया कि उसे 26,000 करोड़ रुपये के इक्विटी इनफ्यूजन और सरकार की ओर से कंपनी में हिस्सेदारी ले लेने के बावजूद बैंकों से सपोर्ट नहीं मिला है।
सरकारी सपोर्ट के बिना आगे नहीं बढ़ सकेगी बैंक फंडिंग
वोडाफोन आइडिया ने सरकार से कहा कि उसके सपोर्ट के बिना बैंक फंडिंग आगे नहीं बढ़ पाएगी और कंपनी वित्त वर्ष 2026 से आगे ऑपरेट नहीं कर पाएगी। अगर सरकारी मदद नहीं मिलती है और वोडाफोन आइडिया अपने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) बकाया का पेमेंट करने में नाकाम रहती है, तो कंपनी को NCLT का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जो एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है।
20 करोड़ से अधिक ग्राहक हो सकते हैं प्रभावित
अगर वोडाफोन आइडिया NCLT में जाती है तो 20 करोड़ से अधिक ग्राहक प्रभावित हो सकते हैं। वोडाफोन आइडिया के नेटवर्क में व्यवधान का अन्य क्षेत्रों पर भी बड़ा असर पड़ेगा और इससे देश की डिजिटल महत्वाकांक्षाओं को झटका लग सकता है। वोडाफोन आइडिया ने अपनी स्पेक्ट्रम देनदारियों को इक्विटी में बदलकर सरकार को हिस्सेदारी दी है। अब कंपनी में सरकार के पास 49% इक्विटी स्टेक है। कंपनी पर अभी भी सरकार का AGR और स्पेक्ट्रम के मामले में 1.95 लाख करोड़ रुपये का बकाया है।
वोडाफोन आइडिया में 59 लाख से अधिक छोटे शेयरधारक हैं, या यूं कहें कि ऐसे शेयरहोल्डर हैं जिनकी ऑथराइज्ड शेयर कैपिटल 2 लाख रुपये तक है। कंपनी का मार्केट कैप 80000 करोड़ रुपये के करीब है। 16 मई को BSE पर कंपनी का शेयर लगभग 2 प्रतिशत बढ़त के साथ 7.37 रुपये पर बंद हुआ।
AGR बकाए में और राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार
एक दिन पहले खबर आई थी कि वोडाफोन आइडिया ने अपने AGR बकाया में और राहत की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की है। कंपनी ने अपनी याचिका में AGR पर पहले के फैसले का हवाला दिया है और बकाए में 30,000 करोड़ रुपये से अधिक को माफ करने की मांग की है। कंपनी ने विशेष रूप से AGR लेवी में पेनल्टी कंपोनेंट पर जुर्माना और ब्याज माफ करने की मांग की है।
वोडाफोन आइडिया का तर्क है कि AGR फैसले द्वारा लगाई गई बाधाओं के कारण सरकार आगे राहत नहीं दे सकती है। दूरसंचार क्षेत्र की परेशानियों का हवाला देते हुए Vodafone Idea का दावा है कि अतिरिक्त सरकारी मदद के बिना यह सेक्टर बर्बाद हो जाएगा। कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले पर तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया है। सुनवाई 19 मई के लिए निर्धारित की गई है।