Zee Ent Share Price: बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने जी एंटरटेनमेंट (Zee Entertainment) के चेयरमैन सुभाष चंद्रा और सीईओ पुनीत गोएनका को किसी भी कंपनी में कोई भी अहम मैनेजेरियल पोजिशन्स लेने पर रोक दी है। दोनों पर यह कार्रवाई जी एंटरटेनमेंट के पैसों को कहीं और लगाने का दोषी पाया गया है। इसका झटका आज इसके शेयरों पर भी दिखा। इसके शेयर आज इंट्रा-डे में बीएसई पर 6 फीसदी से अधिक फिसलकर 182.60 रुपये पर आ गए। हालांकि भाव में अच्छी रिकवरी हुई और दिन के आखिरी में यह 0.44 फीसदी की गिरावट के साथ 194 रुपये पर बंद हुआ। कंपनी ने एक्सचेंज फाइलिंग में सेबी के कार्रवाई की जानकारी दी और कहा कि बोर्ड सेबी के आदेश को अभी पढ़ रही है और कानूनी सलाह के बाद अगला कदम उठाया जाएगा।
Zee Entertainment से जुड़ा क्या है पूरा मामला
सेबी का कहना है कि जी एंटरटेनमेंट के शेयर वित्त वर्ष 2019 में 600 रुपये से गिरकर वित्त वर्ष 2023 में 200 रुपये पर आ गया जबकि कंपनी को मुनाफा हो रहा था। इससे यह संकेत मिलता है कि कंपनी में सब कुछ ठीक नहीं था। सेबी के मुताबिक इस दौरान प्रमोटर की हिस्सेदारी 41.62 फीसदी से घटकर 3.99 फीसदी पर आ गई। सेबी के मुताबिक चंद्रा और गोएनका ने अपने खुद के पूरे नियंत्रण वाली सहयोगी कंपनी के फायदे के लिए जी एंटरेटनमेंट और एस्सेल ग्रुप की अन्य लिस्टेड कंपनियों की संपत्तियों को अलग कर दिया।
बाजार नियामक का मानना है कि जी एंटरटेनमेंट के पैसों की हेराफेरी पूरी तरह से प्लानिंग के साथ हुई लगती है क्योंकि कुछ मामलों में सिर्फ दो दिनों के कम समय में ही 13 कंपनियों के जरिए पैसों को इधर से उधर किया गया। सेबी ने जिस सहयोगी कंपनी की उल्लेख किया है, वह शीरपुर गोल्ड रिफाइनरी है। सेबी ने आगे यह भी कहा कि जी एंटरटेनमेंट के भीतर कामकाज की खराब व्यवस्था से निपटने के लिए कोई प्रक्रिया नहीं है।
SEBI के फैसले का Zee-Sony Merger पर क्या होगा असर?
जी और सोनी का विलय होना है। इस सौदे की शर्तों के मुताबिक विलय के बाद बनने वाली कंपनी का एमडी और सीईओ पुनीत गोएनका को होना है। हालांकि अब सेबी ने आदेश दिया है कि वह किसी भी कंपनी में मैनेजेरियल पोस्ट नहीं संभाल सकते हैं तो अब विलय की दिशा में यह बड़ा रोड़ा बन सकता है। बता दें कि यह मामला एनसीएलटी में भी चल रहा है।
11 मई को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने बीएसई और एनएसई को विलय के प्रस्ताव पर मंजूरी को लेकर शीरपुर गोल्ड रिफाइनरी फंड से जुड़े मामले में सेबी में चल रही जांच को भी देखने का आदेश दिया था। हालांकि नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने एनसीएलटी के आदेश पर रोक लगा दिया। एनसीएलटी में इस मामले में 16 जून को अगली सुनवाई है।
अब सेबी ने अपनी जांच में अहम फैसला सुनाया है। इसे लेकर हेतल दलाल ऑफ इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर एडवायजरी सर्विसेज (IIAS) का कहना है कि इस आदेश से दो संभावनाएं बन रही हैं। एक तो जी और सोनी के विलय में अब देरी हो सकती है क्योंकि इस आदेश को अभी चुनौती मिल सकती है। वहीं दूसरी संभावना में ये है कि सोनी इस मामले में कैसी प्रतिक्रिया देती है।