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Zee-Sony Merger में फंसा नया पेच, बिकवाली से 6% टूट गए जी के शेयर

Zee-Sony Merger: जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (Zee Entertainment Enterprises Limited- ZEEL) के शेयरों में आज बिकवाली का तेज दबाव दिख रहा है। सोनी के साथ इसके विलय में पहले से ही कानूनी दिक्कतें थीं लेकिन अब एक और रोड़ा सामने आ गया। इसके चलते जी के शेयर आज 6 फीसदी से अधिक टूट गए। जानिए अब क्या पेच फंस गया

अपडेटेड May 12, 2023 पर 4:48 PM
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सेबी के आदेश ने जी और सोनी के विलय में रोड़ा खड़ा किया है लेकिन इसकी विलय प्रक्रिया पहले से ही कानूनी दिक्कतों से जूझ रही है।
     
     
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    Zee-Sony Merger: जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (Zee Entertainment Enterprises Limited- ZEEL) के शेयरों में आज बिकवाली का तेज दबाव दिख रहा है। सोनी के साथ इसके विलय में एक और रोड़ा सामने आ गया जिसके चलते जी के शेयर 6 फीसदी से अधिक टूटकर बीएसई पर इंट्रा-डे में 179.35 रुपये पर आ गए। भाव में थोड़ी रिकवरी तो हुई है लेकिन दिन के आखिरी में यह 3.13 फीसदी की गिरावट के साथ 185.95 रुपये (ZEEL Share Price) पर बंद हुआ। सोनी के साथ इसके विलय को सेबी के एक आदेश के चलते बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की तरफ से लगा है। एनएसई और बीएसई ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मुंबई बेंच को सूचना दी है कि बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने उन्हें शीरपुर गोल्ड रिफाइनरी (Shirpur Gold Refinery) से जुड़े आदेश की जानकारी ट्रिब्यूनल को देने को कहा है। शीरपुर गोल्ड रिफाइनरी एस्सेल ग्रुप की एक कंपनी है।

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    SEBI ने क्या दिया था आदेश


    पिछले महीने अप्रैल में सेबी ने शीरपुर गोल्ड रिफाइनरी, इसके पूर्व चेयरमैन अमित गोएनका, प्रमोटर्स जयनीर इंफ्रापावर और मल्टीवेंचर्स के साथ-साथ पांच अन्य लोगों के खिलाफ अंतरिम आदेश पारित किया था। इन पर कंपनी के पैसों को गलत तरीके से इधर से उधर करने और नियमों के उल्लंघन के आरोप में सेबी ने फैसला सुनाया था। इस मामले को शीरपुर को कर्ज देने वालों ने इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत एनसीएलटी में घसीट लिया। 2021-22 तक इसके नॉन-एग्जेक्यूटिव चेयरमैन और डायरेक्टर अमित गोएनका थे।

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    Zee-Sony Merger को लेकर पहले से ही हैं दिक्कतें

    सेबी के आदेश ने जी और सोनी के विलय में रोड़ा खड़ा किया है लेकिन इसकी विलय प्रक्रिया पहले से ही कानूनी दिक्कतों से जूझ रही है। एक्सिस फाइनेंस और जेसी फ्लॉवर एआरसी समेत कुछ क्रेडिटर्स ने एनसीएलटी में याचिका दायर किया है कि वह जी के प्रमोटर्स को पेमेंट करने का निर्देश दे जो उन्हें सोनी से नॉन-कंपीट फी के रूप में मिलने की उम्मीद थी। अब बीएसई-एनएसई के मामले में एनसीएलटी की जस्टिस एचवी सुब्बाराव और मधु सिन्हा की बेंच ने दोनों एक्सचेंजों को सुझाव दिया है कि उन्होंने विलय को मंजूरी दी थी तो उन्हें इस आदेश का ध्यान रखना चाहिए। बता दें कि जी और सोनी के विलय को दोनों एक्सचेंजों और कॉम्पटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) की मंजूरी मिल चुकी है। हालांकि अभी इसे जरूरी रेगुलेटरी, शेयरहोल्डर्स और थर्ड पार्टी अप्रूवल्स लेनी बाकी है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद ट्रिब्यूनल ने मामले को 16 जून को सुनवाई तक स्थगित कर दिया है।

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