दही और छाछ
दही और छाछ में मौजूद जीवित लाभकारी बैक्टीरिया जैसे लैक्टोबेसिलस पाचन को सुधारते हैं, आंत की परत को मजबूत बनाते हैं और इम्यूनिटी को संतुलित रखते हैं। बिना मीठा और ताजा सेवन करना बेहतर होता है, जिससे यह पेट के लिए सबसे फायदेमंद होता है।
इडली और डोसा की बैटर
इडली और डोसा के बैटर में धान और दाल की प्रक्रिया कार्बोहाइड्रेट्स और प्रोटीन को पहले से पचाने लायक बनाती है। इसमें पाए जाने वाले लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया आंत में जाकर पाचन में सुधार करते हैं और पोषक तत्वों के अवशोषण को बेहतर बनाते हैं।
दाल और दालिया
दालें जैसे मूंग, मसूर, राजमा और चना प्रीबायोटिक्स से भरे होते हैं, जो आंत के हानिकारक बैक्टिरिया को कम कर स्वस्थ बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं। वे फाइबर और रेसिस्टैंट स्टार्च से भरपूर होते हैं जो आंत की सूजन को कम करते हैं और पेट को सही बनाए रखतें हैं।
पकाया हुआ और ठंडा किया हुआ चावल
जब चावल ठंडा हो जाता है तो उसका स्टार्च ‘रेसिस्टैंट स्टार्च’ में बदल जाता है, जो बैक्टीरिया के लिए भोजन बनता है। इसके फलस्वरूप एससीएफए (शॉर्ट-चेन फैटी एसिड) बनते हैं जो पेट की एसिडिटी कम करते हैं और पाचन को सुधरते हैं।
कच्चा केला
हरे केले में प्राकृतिक रेसिस्टैंट स्टार्च और पेक्टिन होते हैं जो आंतों के अच्छे बैक्टीरिया को पोषण देते हैं, खासतौर पर जब पेट खराब हो या एंटीबायोटिक्स का सेवन हुआ हो, तो यह घबराहट को कम करता है।
बाजरा, ज्वार, रागी जैसे मिलेट्स
मिलेट्स में उच्च मात्रा में फाइबर होता है जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है, कब्ज को रोकता है और आंतों की माइक्रोबियल विविधता को बढ़ावा देता है। साथ ही इनमें पाए जाने वाले पॉलीफेनोल्स भी अच्छे बैक्टीरिया को प्रशिक्षित करते हैं।
हल्दी
हल्दी में करक्यूमिन नामक सक्रिय घटक होता है जो सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है। काली मिर्च के साथ हल्दी का सेवन इसके अवशोषण को दोगुना कर देता है, जो आंत के बैक्टीरिया को स्वस्थ बनाने में मदद करता है।
प्याज और लहसुन
प्याज और लहसुन में मौजूद इनुलिन और फ्रक्टोओलिगोसैकराइड्स प्राकृतिक प्रीबायोटिक्स हैं, जो खासकर लैक्टोबेसिलस और बिफीडोबैक्टीरिया जैसे लाभकारी बैक्टीरिया के लिए भोजन का काम करते हैं। ये आंत के जीवन को संतुलित रखने में मदद करते हैं।
मेथी
मेथी के बीजों में घुलनशील फाइबर होता है जो मीठे पदार्थों के अवशोषण को धीमा करता है और आंतों के लिए पोषणकारी होता है। भिगोकर या हल्का तला कर मेथी का सेवन प्रीबायोटिक गुणों को बढ़ाता है और पाचन में सहायता करता है।