गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) वह टैक्स है जो सामानों व सेवाओं की खरीद-फरोख्त पर लगता है। इसे कम करने से वस्तुओं की कीमत सीधे कम हो जाती है।
सरकार ने जीएसटी स्लैब को दो मुख्य हिस्सों में बांटने की योजना बनाई है । इस योजना में स्लैब 5% और 18% है। साथ ही कुछ माल व विलासिता की वस्तुओं पर 40% का टैक्स देना होगा।
इस बदलाव से ब्रांडेड कपड़े, रोजमर्रा के खाने के सामान, जैसे कि खाद्य सामग्री और मसाले सस्ते हो जाएंगे।
अब तक ज्यादातर खाद्य पदार्थों और कपड़ों पर अलग-अलग स्लैब के तहत टैक्स लगता रहा है, जो खरीदारी महंगी बनाता है।
इस प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 3 और 4 सितंबर को होगी, जिसमें केंद्र और सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
सीमेंट की जीएसटी दर 28% से घटाकर 18% की जा सकती है, जबकि सैलून और ब्यूटी पार्लर के टैक्स को भी 18% से कम कर 5% करने पर विचार हो रहा है।
स्वास्थ्य बीमा पर लगने वाले जीएसटी को 18% से शून्य प्रतिशत करने का प्रस्ताव भी चर्चा में है, ताकि बीमा सस्ता हो सके।
राज्य सरकारें अपनी राजस्व हानि को लेकर चिंतित हैं, जिसकी भरपाई केंद्र सरकार से करने पर विचार होगा।
टैक्स कम होने से रोजमर्रा की जरूरतों की वस्तुएं सस्ती होंगी, जिससे उपभोक्ता की खरीदारी क्षमता बढ़ेगी और कारोबारी गतिविधि भी चलेगी। प्रस्तावित बदलावों को बैठक में सहमति से मंजूरी मिले तो अगले महीने से नए स्लैब लागू होने की संभावना है।