Apple Plan: एपल भारत में आईपैड बनाने की तैयारियां एक बार शुरू कर सकती है। इसकी वजह ये है कि सरकार देश मं सप्लाई चैन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। यह जानकारी मनीकंट्रोल को सूत्रों के हवाले से मिली है। सूत्रों के मुताबिक एपल जल्द ही मैनुफैक्चरिंग पार्टनर की तलाश शुरू कर सकता है। इससे पहले भारत में आईपैड बनाने के लिए कंपनी ने चीन के BYD के साथ साझेदारी की कोशिश की थी लेकिन जियोपॉलिटिकल से जुड़ी चिंताओं के चलते सरकार ने इस योजना पर आगे बढ़ने से दिया। एपल भारत में आईफोन पहले से ही बनाती है और अब एयरपॉड्स बनाने की योजना है। यह देश में बनने वाली एपल की दूसरी प्रोडक्ट कैटेगरी होगी।
Apple को सरकार से मिल रहा सपोर्ट
सूत्र के मुताबिक बीवाईडी भारत में आईपैड के लिए फैक्ट्री लगाने को लगभग तैयार थी। क्लियरेंस में दिक्कत थी। पिछले साल एपल ने आईपैड प्रोडक्ट डेवलपमेंट के लिए अपना फोकस भारत से वियतनाम पर शिफ्ट कर दिया था। हालांकि अब माहौल काफी बदल चुका है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि एपल ने सरकार से अगले दो से तीन साल की योजना पर बातचीत की। एपल यहां एक दूसरा सप्लाई चेन बनाना चाहती है जिससे और भी कंपनियां यहां आएंगी। अब एपल को दो से तीन साल के लिए बढ़ने में मदद करने की कोशिश की जा रही है। सरकार चाहती है कि एपल आने वाले वर्षों में यहां लैपटॉप और डेस्कटॉप भी बनाए।
यह ऐसे समय में आया है जब एपल भारत में जेबिल के जरिए एयरपॉड वायरलेस चार्जिंग केसेज के लिए कंपोनेंट्स के प्रोडक्शन को बढ़ाने की कोशिशों के साथ-साथ आईफोन बनाने की भी क्षमता बढ़ा रही है। जेबिल एक अमेरिकी मल्टीनेशनल कॉन्ट्रैक्ट मैनुफैक्चरिंग कंपनी है जो स्वीडन की एरिक्सन के लिए 4जी और 5जी इक्विपमेंट भी बनाती है। एपल की योजना अगले साल देश में TWS (ट्रू वायरलेस स्टीरियो) बनाने का है। इसके पार्ट्स तो यह पहले से ही बना रही है जिसे चीन और वियतनाम को निर्यात किया जाता है। सूत्र के मुताबिक जेबिल के साथ मिलकर पुणे में इसने वायरलेस चार्जिंग केसेज के पार्ट्स बनाने का ट्रायल शुरू कर दिया है और अब यह फॉक्सकॉम के साथ भी ऐसा कर सकती है।
iPhone को लेकर क्या है योजना
एपल फॉक्सकॉन और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स के जरिए आक्रामक तरीके से देश में प्रोडक्शन बढ़ाने पर काम कर रही है। सूत्र के मुताबिक इसकी कोशिश है कि अगले तीन से चार साल में यह अपने करीब 25 फीसदी आईफोन की यहीं बनाना चाहती है जोकि अभी 14 फीसदी है। सूत्र ने बताया कि इसके तहत एपल लोकल वेंडर्स का एक नेटवर्क बना रही है ताकि चाइनीज सप्लॉयर्स पर निर्भरता कम की जा सके। जेपी मॉर्गन ने वर्ष 2022 में अनुमान लगाया था कि वर्ष 2025 से एपल के 25 फीसदी प्रॉडक्ट्स चीन के बाहर बनने लगेंगे जोकि उस समय 5 फीसदी था।
काउंटरप्वाइंट रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार कंपनी ने पिछले साल 2023 में भारत में 1 करोड़ से अधिक आईफोन की शिपिंग की और रेवेन्यू के मामले में टॉप पर रही। स्मार्टफोन रेवेन्यू में इसकी 23 फीसदी हिस्सेदारी रही जबकि सैमसंग की 21 फीसदी। 2021 में सैमसंग की स्मार्टफोन रेवेन्यू में 22 फीसदी हिस्सेदारी थी जबकि एपल की 17 फीसदी।