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तालिबान की वापसी पर झूमने वाला पाकिस्तान, आज भुगत रहा करनी का फल, दो पुराने यारों के बीच कहां बिगड़ी बात?

Pakistan Taliban Conflict: पाकिस्तान को लगा था कि तालिबान के अफगानिस्तान में आने से उसे एक नया साथी और एक नया मजबूत पड़ोस मिल जाएगा, जो भारत के खिलाफ उसकी मंशा को कामयाब करने काफी मददगार साबित होगा, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी को भारत और अमेरिका का समर्थक बताया जाता था

Shubham Sharmaअपडेटेड Dec 31, 2024 पर 4:26 PM
तालिबान की वापसी पर झूमने वाला पाकिस्तान, आज भुगत रहा करनी का फल, दो पुराने यारों के बीच कहां बिगड़ी बात?
Pakistan Taliban: कभी तालिबान की वापसी पर खुशी से झूम उठा था पाकिस्तान, आज अफगानिस्तान सीमा पर लड़ रहे दो पुराने यार, कहां बिगड़ी बात?

जब अगस्त 2021 में तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया, तो पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री शेख रशीद अहमद ने अफगानिस्तान के साथ लगने वाले तोरखम बॉर्डर पर एक विकट्री प्रेस कॉन्फ्रेंस की और तालिबान सरकार को मान्यता देने की बात कही। उन्होंने दावा किया कि तालिबान के तेजी से सत्ता में आने से "एक नया ब्लॉक" बनेगा। उस समय पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान ने कहा था कि अफगानिस्तान के लोगों ने गुलामी की जंजीर को तोड़ दिया है।

पाकिस्तान को लगा था कि तालिबान के अफगानिस्तान में आने से उसे एक नया साथी और एक नया मजबूत पड़ोसी मिल जाएगा, जो भारत के खिलाफ उसकी मंशा को कामयाब करने में काफी मददगार साबित होगा, क्योंकि अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी को भारत और अमेरिका का समर्थक बताया जाता था।

हालांकि, 3-4  सालों में ही पाकिस्तान की खुशफहमी का ये गुब्बारा भी फूट गया और आज हालात ये हैं कि पाकिस्तान अफगानिस्तान के भीतर घुस कर एयर स्ट्राइक कर रहा है और तालिबानी पाकिस्तान में घुस कर मार काट मचा रहे हैं।

इस आपसी संघर्ष की जड़ तक पहुंचने से पहले हमें ये जानना होगा कि पाकिस्तान और तालिबान के बीच के संबंध कितने गहरे थे और तभी आपके सामने आज की तस्वीर और भी अच्छे से साफ हो पाएगी।

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