GQG Partners को $500000 का करारा झटका, इस मामले के सेटलमेंट में पेमेंट को हुई राजी

राजीव जैन को नियमों के उल्लंघन को लेकर 5 लाख डॉलर का झटका लगा है। उनकी कंपनी जीक्यूजी पार्टनर्स व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन रूल्स के उल्लंघन से जुड़े मामले के निपटारे के लिए 5 लाख डॉलर का पेमेंट करने को तैयार हो गई है। यह जानकारी अमेरिकी बाजार नियामक SEC (सिक्योरिटीज एंड कमीशन) ने दी है। हालांकि इसने न तो तथ्यों को नकारा है और न ही स्वीकार किया है

अपडेटेड Sep 27, 2024 पर 1:28 PM
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GQG Partners के चेयरमैन और सीईओ राजीव जैन ने भारतीय कंपनियों में भी निवेश किया हुआ है जिसमें अदाणी ग्रुप की भी कुछ कंपनियां शामिल हैं।

राजीव जैन को नियमों के उल्लंघन को लेकर 5 लाख डॉलर का झटका लगा है। उनकी कंपनी जीक्यूजी पार्टनर्स व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन रूल्स के उल्लंघन से जुड़े मामले के निपटारे के लिए 5 लाख डॉलर का पेमेंट करने को तैयार हो गई है। यह जानकारी अमेरिकी बाजार नियामक SEC (सिक्योरिटीज एंड कमीशन) ने दी है। सेटलमेंट के तहत जीक्यूजी पार्टनर्स 1934 के सिक्योरिटीज एक्सचेंज एक्ट और 1940 के इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स के तहत सीज-एंड-डीसिस्ट निर्देशों को मानने पर राजी हो गई। हालांकि इसने न तो तथ्यों को नकारा है और न ही स्वीकार किया है लेकिन राजीव जैन की कंपनी ने यह स्वीकार कर लिया है कि यह मामला अमेरिकी बाजार नियामक के अधिकार क्षेत्र में आता है।

क्या है पूरा मामला

26 सितंबर को जारी अमेरिकी नियामक के बयान के मुताबिक वर्ष 2020 से 2023 के बीच जीक्यूजी पार्टनर्स ने 12 इंडिविजुअल्स के साथ ऐसा नॉन-डिस्क्लोजर एग्रीमेंट किया जिसमें बहुत-से प्रतिबंध लगाए गए थे और गोपनीय जानकारियों का खुलासा करने से उन्हें रोकते थे। ये प्रतिबंध इतने सख्त थे कि इनका खुलासा सरकारी नियामकों और एजेंसियों को भी नहीं किया जा सकता था। हालांकि अब इस मामले में एडमिनिस्ट्रेटिव और सीज -एंड -डीसिस्ट की प्रक्रिय से पहले ही जीक्यूजी पार्टनर्स ने मामले को सुलटा लिया है।


GQG Partners का भारतीय कंपनियों में भी है भारी निवेश

जीएक्यूजी एक वैश्विक बुटिक एसेट मैनेजमेंट फर्म है जो अपने एक्टिव पोर्टफोलियो मैनेजमेंट और लॉन्ग टर्म वैल्यू डिलीवरी के लिए मशहूर है। जीक्यूजी पार्टनर्स के चेयरमैन और सीईओ राजीव जैन ने भारतीय कंपनियों में भी निवेश किया हुआ है जिसमें अदाणी ग्रुप की भी कुछ कंपनियां शामिल हैं। अदाणी ग्रुप की कंपनियों में तो उन्होंने तब पैसे डाले थे, जब अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आई थी। इस रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप की कंपनियों में कॉरपोरेट गवर्नेंस की गड़बड़ियों और कर्ज से जुड़े मुद्दे उठाए गए थे, जिस पर अदाणी ग्रुप के शेयर ढह गए थे। उस समय जीक्यूजी पार्टनर्स ने इसमें सस्ते भाव पर काफी शेयर खरीदे थे। GQG पार्टनर्स ने भारतीय स्टॉक मार्केट में इंफ्रास्ट्रक्चर, कंज्यूमर गुड्स और एनर्जी सेक्टर्स पर दांव लगाया हुआ है।

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