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German election 2025: कौन हैं फ्रेडरिक मर्ज? कंजर्वेटिव नेता बनने जा रहे हैं जर्मनी के नए चांसलर

Who is Friedrich Merz: जर्मनी 27 देशों वाले यूरोपीय संघ में सबसे अधिक आबादी वाला देश है। जर्मनी नाटो का एक प्रमुख सदस्य है। यह अमेरिका के बाद यूक्रेन का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता रहा है। यह चुनाव ट्रंप प्रशासन की टकरावपूर्ण विदेश और व्यापार नीति सहित आने वाले वर्षों की चुनौतियों के प्रति महाद्वीप की प्रतिक्रिया को आकार देने में केंद्रीय भूमिका निभाएगा

Akhileshअपडेटेड Feb 24, 2025 पर 3:21 PM
German election 2025: कौन हैं फ्रेडरिक मर्ज? कंजर्वेटिव नेता बनने जा रहे हैं जर्मनी के नए चांसलर
Who is Friedrich Merz: फ्रेडरिक मर्ज का कहना है कि वे यूरोप को अमेरिका से 'वास्तविक स्वतंत्रता' दिलाना चाहते हैं

Who is Friedrich Merz: जर्मनी के आम चुनाव में विपक्षी नेता फ्रेडरिक मर्ज की अगुवाई वाली कंजर्वेटिव पार्टी ने शानदार जीत दर्ज की है। फ्रेडरिक मर्ज जर्मनी के अगले चांसलर बनने जा रहे हैं। उनका कहना है कि वे यूरोप को अमेरिका से 'वास्तविक स्वतंत्रता' दिलाना चाहते हैं। जर्मनी के कंजर्वेटिव नेता फ्रेडरिक मर्ज देश का नेतृत्व करने जा रहे हैं। उनकी मध्य-दक्षिणपंथी पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (CDU) ने देश के आम चुनावों में सबसे ज्यादा वोट शेयर हासिल किया है। उन्होंने इस चुनाव में जर्मनी के वर्तमान चांसलर ओलाफ शोल्ज की सेंटर-लेफ्ट सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD) को हराया है।

यह चुनाव ऐसे समय हो हुआ है जब यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में वर्षों से चले आ रहे ठहराव पर अंकुश लगाने का दबाव है। साथ ही यूक्रेन के भविष्य और यूरोप के अमेरिका के साथ गठबंधन को लेकर बढ़ती अनिश्चितता जैसी चिंताएं प्रमुखता से सामने आ रही हैं।

जर्मनी 27 देशों वाले यूरोपीय संघ में सबसे अधिक आबादी वाला देश है। जर्मनी नाटो का एक प्रमुख सदस्य है। यह अमेरिका के बाद यूक्रेन का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता रहा है। यह चुनाव ट्रंप प्रशासन की टकरावपूर्ण विदेश और व्यापार नीति सहित आने वाले वर्षों की चुनौतियों के प्रति महाद्वीप की प्रतिक्रिया को आकार देने में केंद्रीय भूमिका निभाएगा।

यह चुनाव मूल रूप से तय समय से सात महीने पहले हो हुआ है। नवंबर में मध्य वामपंथी चांसलर ओलाफ शोल्ज का गठबंधन टूट गया था। फिर तीन साल का कार्यकाल अंदरूनी कलह से प्रभावित रहा था। मतदाताओं में व्यापक असंतोष था। किसी भी उम्मीदवार के प्रति कोई खास उत्साह नजर नहीं आ रहा था।

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