
8th Pay Commission Indian Railway: भारतीय रेलवे के कर्मचारियों के लिए गुड न्यूज है। 8वां वेतन आयोग लागू होने से कर्मचारियों की सैलरी में बड़ा इजाफा होना तय है। यही ध्यान में रखते हुए भारतीय रेलवे ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। आने वाले समय में कर्मचारियों के वेतन पर बढ़ने वाले खर्च को लेकर अभी से तैयारी में जुट गया है। आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) की सिफारिशें लागू होने के बाद रेलवे के खर्च में बड़ा इजाफा होने की उम्मीद है। इसी को देखते हुए रेलवे ने अपने फाइनेंस को मजबूत करने के लिए कई खर्च-कटौती और सेविंग से जुड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
18 महीने में आएगी रिपोर्ट
आठवां वेतन आयोग जनवरी 2025 में गठित किया गया था और इसे अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 18 महीने का समय दिया गया है। यानी रेलवे के पास जनवरी 2026 से पहले अपनी फाइनेंशियल स्थिति को बेहतर करने के लिए लिमिटेड समय बचा है। रेलवे को पिछली बार सातवें वेतन आयोग के अनुभव से बड़ा सबक मिला था। साल2016 में जब सातवां वेतन आयोग लागू हुआ था, तब कर्मचारियों की सैलरी में 14 से 26 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई थी, जिससे वेतन और पेंशन का सालाना बोझ करीब 22,000 करोड़ रुपये बढ़ गया था। अब आंतरिक आकलन के मुताबिक आठवें वेतन आयोग के बाद यह एक्स्ट्रा बोझ 30,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
रेलवे ने बढ़ाया फोकस
हालांकि, रेलवे के अधिकारी इस चुनौती को लेकर आश्वस्त नजर आ रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि बढ़ते खर्च को संभालने की पूरी योजना पहले से तैयार की जा रही है। इसके लिए आंतरिक संसाधनों, ऑपरेशनल एफिशिएंसी और माल ढुलाई (फ्रेट) से होने वाली आय बढ़ाने पर फोकस किया जा रहा है।
रेलवे का ऑपरेटिंग रेशो फाइनेंस वर्ष 2024-25 में 98.90 प्रतिशत रहा, जबकि इस दौरान रेलवे ने 1,341.31 करोड़ रुपये की शुद्ध इनकम दर्ज की। फाइनेंस वर्ष 2025-26 के लिए ऑपरेटिंग रेशो को थोड़ा सुधारकर 98.43 प्रतिशत रखने का टारगेट तय किया गया है। वहीं, नेट रेवेन्यू बढ़कर 3,041.31 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।
सेविंग पर रेलवे का फोकस
रेलवे को पावर सेविंग से भी बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। पूरे रेल नेटवर्क के इलेक्ट्रिफिकेशन से हर साल करीब 5,000 करोड़ रुपये की सेविंग होने का अनुमान है। इसके अलावा, फाइनेंशिय ईयर 2027-28 से रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन (IRFC) को होने वाले पेमेंट में भी कमी आएगी, क्योंकि हाल के सालों में कैपिटल खर्च का बड़ा हिस्सा बजटीय सहायता से पूरा किया गया है।
कर्मचारी संगठनों की मांगें भी रेलवे के लिए चुनौती बन सकती हैं। सातवें वेतन आयोग में 2.57 फिटमेंट फैक्टर लागू किया गया था, जबकि अब यूनियनें 2.86 फिटमेंट फैक्टर की मांग कर रही हैं। अगर यह मांग मानी जाती है, तो वेतन खर्च में 22 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हो सकती है।
इन सबके बावजूद रेलवे को भरोसा है कि वह अपनी फाइनेंशियल स्थिति को संभालने में सफल रहेगा। इसी सोच के तहत फाइनेंशियल ईयर 2025-26 में कर्मचारियों के वेतन पर खर्च के लिए बजट बढ़ाकर 1.28 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है, जो पिछले साल 1.17 लाख करोड़ रुपये था। पेंशन के लिए भी आवंटन बढ़ाया गया है। रेलवे का मानना है कि सही योजना और बढ़ती इनकम के जरिए वेतन आयोग के असर को बैलेंस किया जा सकेगा।
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