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क्या आप टैक्स-प्लानिंग में AI का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं? इससे आप मुश्किल में फंस सकते हैं

आर्टफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल आपकी जिंदगी को आसान बनाता है। लेकिन, कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां इसके इस्तेमाल से समस्या पैदा हो सकती है। कानून से जुड़े मामलों में इसका इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है। एआई के नतीजों को चेक किए बगैर इसका इस्तेमाल करना ठीक नहीं है

Abhishek Anejaअपडेटेड Feb 28, 2025 पर 5:28 PM
क्या आप टैक्स-प्लानिंग में AI का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं? इससे आप मुश्किल में फंस सकते हैं
आजकल कई लोग टैक्स प्लानिंग या लीगल मामलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं।

आजकल हम अपने रोजाना के कामकाज में चैटजीपीटी और ऐसे दूसरे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टूल का काफी इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, एआई कई बार गलत नतीजें पेश करता है। हाल में ऐसा एक मामला मडिया में आया है। इसमें इनकम टैक्स अपीलीय ट्राइब्यूनल ने एक ऑर्डर ड्राफ्ट करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया था। बाद में उसे अपना ऑर्डर वापस लेना पड़ा। आइए इस मामले के बारे में विस्तार से जानते हैं।

यह मामला Buckeye Trust बनाम PCIT से जुड़ा है। इसमें माननीय ITAT बेंगलुरु ने 669 करोड़ रुपये के टैक्स के एक विवाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाई कोर्ट के कुछ खास पिछले फैसले के आधार पर फैसला टैक्स डिपार्टमेंट के पक्ष में दिया। बाद में यह पता चला कि ये फैसले या तो वास्तविक नहीं थे या इन्हें आर्टफिशियल रूप से बनाया गया था। यह भी हो सकता है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने इस मामले में ऐसे फैसलों का रिजल्ट पेश किया, जो मामले से संबंधित नहीं थे।

AI ने जो ऑर्डर पेश किया, उसमें झूठे फैसले शामिल थे। इसमें एक वास्तविक फैसले को गलत तरीके से पेश किया गया, जिसका उस मामले से संबंध नहीं था। जब इस गलती के बारे में माननीय ट्राइब्यूनल को पात चला तो उसने तुरंत आदेश वापस ले लिया। इस घटना से एक अहम बात सामने आई है। वह यह है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमारी रोजाना की जिंदगी को आसान बना सकता है, लेकिन हम इस पर आंख बंदकर भरोसा नहीं कर सकते। खासकर ऐसे मामलों में जहां तथ्यों की जांच जरूरी है।

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