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महंगाई रोकने की कोशिश में विफलता के कगार पर RBI, अब क्या होगा आगे!

लगातार 3 महीने तक 7 फीसदी के ऊपर रहने के बाद जुलाई में रिटेल महंगाई (CPI) 6.71 पर आई थी। लेकिन अगस्त में ये फिर से 7 फीसदी पर पहुंच गई है

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 13, 2022 पर 10:30 AM
महंगाई रोकने की कोशिश में विफलता के कगार पर RBI, अब क्या होगा आगे!
अधिकांश अर्थशास्त्रियों का मानना है कि 2022 के अंत तक आरबीआई की रेपो दर 6 फीसदी या उससे ज्यादा हो सकती है

12 सितंबर को सरकार जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत की रिटेल महंगाई दर जुलाई के  6.71 फीसदी के 5 महीने के लो से बढ़कर अगस्त में 7 फीसदी पर फिर वापस आ गई है।  लगातार 3 महीने तक 7 फीसदी के ऊपर रहने के बाद जुलाई में  रिटेल महंगाई (CPI) 6.71 पर आई थी। लेकिन अगस्त में ये फिर से 7 फीसदी पर पहुंच गई है। अगस्त में रिटेल महंगाई की दर अनुमान से भी ज्यादा रही है। बता दें कि मनीकंट्रोल के पोल में अगस्त में खुदरा महंगाई दर के 6.9 फीसदी पर रहने का अनुमान किया गया था।

रिटेल महंगाई के आंकड़े लगातार 35 महीने से आरबीआई के 4 फीसदी के मीडियम टर्म टारगेट से ऊपर बने हुए हैं। वहीं, ये आंकड़े लगातार 8 महीने से आरबीआई के 2-6 रे टालरेंस लिमिट से ऊपर कायम हैं। ऐसे में आरबीआई अब अपने इंफ्लेशन मैंडेट (महंगाई रोकने के प्रयास) को पूरा करने में विफल होने के कगार पर है।

आरबीआई को अपने इस प्रयास में तब विफल माना जाता है जब औसत मंहगाई लगातार तीन तिमाहियों तक 2-6 फीसदी की सहनशीलता सीमा (टॉलरेंस लिमिट) से ज्यादा होती है। जनवरी-मार्च में औसतन 6.3 फीसदी और अप्रैल-जून में 7.3 प्रतिशत रहने के बाद महंगाई सितंबर में कम से कम 4.1 फीसदी तक गिरनी चाहिए ताकि जुलाई-सितंबर के अवधि की औसत महंगाई 6 फीसदी से कम हो। आरबीआई तभी अपने इस प्रयास में विफलता से बच पाएगा जब ऐसा होगा। आरबीआई के ताजा पूर्वानुमान में कहा गया है कि जुलाई-सितंबर में महंगाई औसतन 7.1 फीसदी रहेगी। ऐसे में आरबीआई अब महंगाई रोकने के लिए मिली अपनी जिम्मेदारी में विफलता के कगार पर दिख रहा है।

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